Book Title: Gaumata Panchgavya Chikitsa
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 15
________________ कितना गौवंश का नाश अंग्रेजों के जमाने में होता था। इन वर्षों में 1910 से लेकर 1940 के साल में कुल लगभग 10 करोड़ से ज्यादा गौवंश का कत्ल अंग्रेजों की सरकार ने कराया। : जो, दस करोड़ गौवंश का कत्ल कराया। उसके बारे में अंग्रेजों की सरकार यह कह रही है कि अगर यह दस करोड़ गौवंश का आज कत्ल हो जायेगा। तो आने वाले जमानों में करोड़ों गौवंश का नाश इस तरह से हम आगे बड़ा सकते हैं। तो इस तरह से यह नीति आगे चलती रही और हिन्दुस्तान के बहुत सारे धर्म और मजहबों के लोग गाय को बचाने के लिये आंदोलन भी करते रहे। आप सब जानते हैं कि हिन्दुस्तान में जो क्रांति हुई थी। उस क्रांति की जो पहली चिंगारी लगी थी 1857 में बैरकपुर की छावनी में, जब मंगल पांडे को फांसी की सजा हुई थी। तो प्रश्न गाय का ही था। उस गाय के मुल प्रश्न से हिन्दुस्तान की क्रांति की शुरुवात हुई थी। और बाद में वही मुल प्रश्न हिन्दुस्तान की आजादी का प्रश्न बन गया था। आप सब ने इतिहास में इतना तो पढ़ा ही होगा कि मंगल पांडे को फांसी की सजा क्यों हुई थी। मंगल पांडे एक आर्य समाजी नौजवान था। स्वामी दयानंद के विचारों से बहुत ज्यादा प्रेरित था तो आर्य समाजी नौजवान होने के कारण वो अपने मन में उतना ही धर्मनिष्ठ था जितना हिन्दुस्तान के दूसरे तमाम सामान्य लोग हो सकते हैं। गलती यह हुई कि मंगल पांडे ने अंग्रेजों की फौज में नोकरी कर ली और अंग्रेजों की फौज में नोकरी करते हुये एक दिन मंगल पांडे को पता चला कि जो कारतूस अंग्रेजों की सरकार देती है इस्तेमाल करने के लिये। उन कारतूसों पर गाय की चरबी लगी होती है और गाय की चरबी लगाये हुये कारतूसों को मुँह से खोलना पडता था। उसके बाद बंदूक में चलाने पडते थे। तो मंगल पांडे को जिस दिन यह पता चला कि वो जो गाय की चरबी लगाये हुये कारतूसों को मुँह से खोलता है और उसके बाद बंदुक में उसको लगाना पडता है। तो उसने मन में फैसला किया कि गाय की चरबी के कारतूसों को मुँह से इस्तेमाल करने से ज्यादा अच्छा है कि मैं ऐसी नोकरी को छोड दूं। लेकिन उसके मन में प्रतिशोध भी पैदा हुआ कि जिन अंग्रेज ऑफीसरों ने उसको बिना बताये हुये सालों साल उसके मुँह से गाय की चरबी के कारतूस खुलवाये हैं। उन अंग्रेज ऑफीसरों को वो जिन्दा नहीं छोड़ेगा। तो मंगल पांडे ने हिम्मत की और जिस अंग्रेज ऑफीसर के माध्यम से उसको कारतूस दिये जाते थे। जिन कारतूसों पर गाय की चरबी लगाई जाती थी। उन कारतूसों को लेने से उसने इनकार कर दिया तो बाद में उसके उपर दबाव पड़ा और उस दबाव के तहत एक दिन उस मंगल पांडे ने अपने उस अंग्रेज ऑफीसर की हत्या कर दी गोली मारकर। जैसे ही मंगल पांडे ने उस अंग्रेज ऑफीसर की हत्या की तो यह बात पूरे देश में प्रचारित होने में समय नहीं लगा कि गाय की चरबी के लगे कारतूसों को खोलने से मना करने पर मंगल पांडे को सजा दी । जाने की बात तय हुई तो इसलिए मंगल पांडे ने यह फैसला किया उस अंग्रेज ऑफीसर गौमाता पंचगव्य चिकित्सा

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