Book Title: Gaumata Panchgavya Chikitsa
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 122
________________ अपथ्य : खटाई, अधिक बीज वाले फल-सब्जी जैसे टमाटर, चवली, अमरूद, भिंडी, बैंगन, पत्तेवाली सब्जियाँ पालक 3. बहुमूत्र (अधिक पेशाब होना) 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ .. .. परत (fold) कर छानकर पीयें। . पुनर्नवादि अर्क और पुनर्नवादि वटी का सेवन करें। 2. दूध में घी डालकर पीयें। 3. प्रतिदिन दो चम्मच काले तिल चबा-चबाकर खायें। . 4. पंखे की तेज हवा से बचें। 5. प्रतिदिन छिलके सहित 6. मेथी भीगाकर सुबह उसका सेवन करें। ' अपथ्य : रात को देर से भोजन करना, गैस करनेवाली चीजें, जेसे आलू, नये चावल, प्याज, मैदा, फ्रिज की चीजें, रिफाइण्ड तेल खटाई, अधिक मीठा पथ्य : घाणी का तेल (न मिले तो फिल्टर्ड तेल), शाम के भोजन में तरल पदार्थ अधि क ना लें। ब्रह्मचर्य का पालन विशेष : 1. जो बच्चे रात्रि में बिस्तर पर पेशाब करते हों, उन्हें भी यही उपचार दें। 2. बहुमूत्र मधुमेह का एक प्रमुख लक्षणं है यदि मधुमेह हो तो मधुमेह का उपचार करें। 4. मूत्र वाहिनियों मे व्रण (Ulcer in Ureter) 1. दिन में तीन बार ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को . सूती कपड़े को आठ परत. (fold) कर छानकर पीयें। या1. पुनर्नवादि अर्क और पुनर्नवादि वटी का सेवन करें। 2. गाय के दूध में समान मात्रा में पानी डालकर उबालें। मिश्री मिलाकर जौ की रोटी (दलिया) या चावल के साथ लें। 3. दूध में गाय का घी लें। अपथ्य : मीठे पदार्थ, गरिष्ठ पदार्थ, दिन में सोना, पथ्य : शहद, पपीता गौमाता पंचगव्य चिकित्सा 121:

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