Book Title: Gaumata Panchgavya Chikitsa
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 130
________________ आग उगलने वाली आवाज मौन हो गई.... राजीव भाई के प्रखर और ओजस्वी वाणी शांत हो गई। उनकी वाणी में स्वदेश के लिए प्रेम और अगाध श्रद्धा थी।..... राजीव भाई के जाने से देश को बहुत बड़ी क्षति हुई है। उनके असमय निधन से राष्ट्र ने जो खोया है उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता।.... देश में अब दूसरा राजीव पैदा नहीं होगा। उनकी एक आवाज़ करोड़ों आवाजों के बराबर थी।.... उनके स्वदेशी के स्वप्न को साकार करने के लिए हम सच्चे प्रयास करें। यही उस पुण्यात्मा को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.... परमपूज्य स्वामी रामदेव जी राजीव भाई का जीवन निरंतर कर्मयोनि का जीवन था। वर्धा से निकलकर हरिद्वार आने पर उनकी यात्रा पूर्ण हो गई थी। भारत स्वाभिमान के लिए उन्होंने जो पृष्ठभूमि बनाई, वह उनके अद्भुद ज्ञान का प्रमाण है। उनके पास जो ज्ञान था। उनकी जो स्मृति थी वह बहुत कम लोगों के पास होती है। पाँच हजार वर्षों का ज्ञान उनके पास था। उनका दिमाग कम्प्यूटर से भी तेज चलता था। उनका आन्दोलन रूकेगा नहीं, ऐसी परमपिता से प्रार्थना है.... _परम श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या राजीव भाई स्वदेशी ग्राम द्वारा संकल्पित (स्वदेशी शोध केंद्र, सेवाग्राम, वर्धा) भारत को स्वदेशी और स्वावलंबी बनाने के लिए, तथा राजीव भाई के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए राजीव भाई की स्मृति में सेवाग्राम, वर्धा में 23 एकड़ में एक स्वदेशी शोध केंद्र बनाने की योजना है। आपका सहयोग अपेक्षित है। उदेश्य:-स्वदेशी के दर्शन पर आधारित भारत बनाने के लिए जैविक खेती प्रशिक्षण और स्वदेशी बीजों के संरक्षण के लिए स्वदेशी शिक्षा के प्रयोग के लिए गौ संवर्धन और पंचगव्य शोध के लिए स्वदेशी रोजगार उपलब्ध कराने के लिए भारत में स्वदेशी नीतियों को लागु करने के लिए स्वदेशी उद्योगों को बढाने के लिए शोध कार्य अमरत की पारंपरिक ज्ञान को आम जन के बीच फैलाने के लि मेरा हो मन स्वदेशी, मेरा हो तन स्वदेशी | मर जाँऊ तो भी मेरा, होवे कफन स्वदेशी स्वदेशी प्रकाशन सेवाग्राम, वर्धा

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