________________
मूत्र संस्थान के रोग
1. वृक्क विकार (गुर्दे के रोग Kidney Problems )
1. दिन में तीन बार ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold ) कर छानकर पीयें ।
या
पुनर्नवादि अर्क और पुनर्नवादि वंटी का सेवन करें।
2. अंगराग से स्नान करें।
3. वृक्क के सभी रोगों में शरीर से खूब पसीना निकलने दें, जिससे रक्त साफ होता रहे और गुर्दों पर जोर ना पड़े ।
4. पैरों के तलवों पर घी लगाकर काँसे के बर्तन से तब तक रगडं जब तक तलवे काले न हो जाए।
5. नाक में घी डालें। नाभि पर घी लगाकर अनामिका उंगली से उल्टा-सीधा मंथन करें।
6. गाय का दूध समाना मात्र में पानी मिलाकर उबाले। ठंडा कर मिश्री मिलाकर जौ के दलिये के साथ लें।
अपथ्य : खटाई, तली चीजें, फ्रिज की चीजें, टमाटर, आलू, चावल, दही, केला, उड़द
की दाल, कच्चा नमक, चावल, पंखे की तेज हवा |
पथ्य : जौ का सत्तू, जौ का पानी, नारियल, खजूरं
विशेष : गुर्दे के रोगों पर गौमूत्र परम औषधि सिद्ध हुई है ।
2. पथरी (Kidney Stone)
होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक औषधियों के साथ गौमूत्र पथरी को खत्म करने . में बड़ा प्रभावी सिद्ध हुआ है ।
1. दिन में तीन बार ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें।
या
पुनर्नवादि अर्क और पुनर्नवादि वटी का सेवन करें।
2. खूब पानी पीयें।
गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
120