Book Title: Gaumata Panchgavya Chikitsa
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 125
________________ כ' का व्यसन, अधिक स्त्री - संग | पथ्य : पूरे शरीर पर तेल की मालिश करें। व्यायाम करें। विशेष : 1. कामुक विचारों से शक्ति नष्ट होने से संभोग की शक्ति क्षीण हो जाती है। अतः कामुक विचारों से बचें। 2. संभोग के बाद ऊपरोक्त गर्म दूध का सेवन करने से शक्ति क्षीण नहीं होती । 3. संभोग के बाद पानी कभी ना पीयें। 4. कब्ज न होने दें। 5. तनाव, चिंता, भय, क्रोध, आदि के साथ संभोग में प्रवृत्त न हों। 3. यौन रोग ( Sexual Diseases) सभी प्रकार के यौन रोगों में निम्नलिखित उपचार करें। 1. दिन में तीन बार ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूत कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या मेदोहर अर्क (केसर युक्त गौमूत्र अर्क) और गौमूत्र हरितकी वटी का सेवन करें। 2. गाय के दूध में घी डालकर पीयें । अपथ्य : अश्लील विचार, किसी भी प्रकार का, व्यसन, मांसाहार, रात को भोज करना, खटाई, नमक, शक्कर, गरिष्ठ भोजन, तली चीजें, मिर्च-मसाले, अधिक मीठा । मैथुन । पथ्य : ब्रह्मचर्य, हल्का सात्विक भोजन, जौ, सभी दालें, चावल, मिश्री, मेथी, काली चर्म, हल्का व्यायाम विशेष : कब्ज बिल्कुल ना होने दें। 4. एच. आई. वी / एड्स एच. आइ. वी और एड्स ये एक ही रोग नहीं है। एच. आई. वी का सही ढंग से उपचार न होने पर वह एड्स में बदल सकता है। एड्स का उपचार कठिन है, असंभव नहीं । 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें । या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. पंचगव्य घृत का सेवन करें 3. पंचगव्य घृत की दो-दो बूंदे नाक में डालें। 4. 31 पत्ती श्यामा तुलसी के रस में उतना ही शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें। गौमाता पंचगव्य चिकित्सा 124

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