Book Title: Gaumata Panchgavya Chikitsa
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 69
________________ जल.. दुग्ध शर्करा तृप्ति रहती है। मुख शोष, हृदय को ताकत देता है, स्वस्थ करता है। प्यास, घबराहट को मिटाता है। एन्जाइम्स पाँचक रस बनाते हैं। रोग प्रतिरोधक शक्ति (आरोग्यकारक तत्व) बढ़ाते हैं। जीवनदाता है, रक्त को तरल बनाए रखता है। तापक्रम को स्थिर रखता है। हिप्युरिक एसिड मूत्र के व्दारा विषों को बाहर निकालता है। क्रियाटिनिन जन्तुघ्न है। हार्मोन्स . आठ मास की गर्भवती गाय के गौमूत्र में हारमोन्स ही होते हैं। जो स्वास्थ्यवर्धक है। 24.. स्वर्ण क्षार जन्तुघ्न रोग निरोधक शक्ति बढ़ाता है। . आयुर्वेद के अनुसार गौमूत्र के गुण आयुर्वेद, वेदों से लिया गया चिकित्सा का अंग है। वेद ब्रह्म वाक्य जनार्दनम् हैं। इसलिए आप्तोपदेश कहे गए हैं। गौमूत्र प्रभाव से भी निरोग करता है। “अचिन्त्य शक्ति'' इति प्रभाव कहा है। जिस शक्ति का चिन्तन (वर्णन) नहीं किया जा सकता है। गौमूत्र के आयुर्वेद में गुण बताए हैं। . आयुर्वेद के अनुसार वर्णन - रस: कटु, तिक्त, कषाय, मधुर, लवण है। पंचरस युक्त है। गुण : पवित्र, विषनाशक, जीवाणुनाशक, त्रिदोषनाशक, तांत्रिक, मेधशक्तिवर्धक अकेला ही पीने से सभी रोग नाशक है। पूरे गुण आगे वर्णित हैं। वीर्य : उष्ण वीर्य है। विपाक : कटु है। प्रभाव : तांत्रिक, सर्वरोग नाशक है। यह कायिक, मानसिक रोगों का नाश करता है। यह योगियों का दिव्य पान है, जिससे वे दिव्य शक्ति पाते थे। गौमूत्र में गंगा ने वास किया है। सर्वपाप (रोग) नाशक है। अमेरिका में भी अनुसंधान से सिद्ध हो गया है कि विटामिन 'बी' तो गौ के पेट में सदा ही रहता है। . यह सतोगुण वाला है। विचारों में सात्विकता लाता है। 6 मास लगातार पीने से आदर्मी की प्रकृति सतोगुणी हो जाती है। रजोगुण, तमोगुण का नाशक है। शरीरगत विष भी पूर्ण रूप से भूत्र, पसीना, मलाश के द्वारा बाहर निकालता है। मनोरोग नाशक है। आयुर्वेद में कहा गया है : सुश्रुत संहिता सूत्र स्थान के 45 वें अध्याय में गौमूत्र के पूरे गुण लिखे गये हैं। सुश्रुत संहिता 5000 वर्ष पुराना आयुर्वेद का ग्रंथ है। आयुर्वेद वेदों से लिया गया है। चरक संहिता, राजनिघंटु, वृद्धवागभट्ट, अमृतसागर में वर्णन आया है। 'अष्टांग संग्रह के अनुसार ___ “गव्यं सुमधुरं किन्चिद् दोषघ्नं कृमी कुष्ठनुत् . . . गौमाता पंचगव्य चिकित्सा . . . : 68

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