Book Title: Gaumata Panchgavya Chikitsa
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 95
________________ 4 गौमूत्र : गौमूत्र कुछ पित्त को बढ़ाता है, लेकिन विरेचन के गुण के कारण पक्वाशय और छोटी आँतों में संचित पित्त को दस्त के माध्यम से निकालकर राहत भी देता है। पित्त दोष से पीड़ित व्यक्ति को गौमूत्र सेवन के दिनों में घी का भी सेवन करना चाहिए। गौमूत्र को बार-बार छानने से भी इसका विरेचन गुण बढ़कर पित्त का नाश करता है। एक बात को यहाँ फिर से दोहराना आवश्यक है कि इस पुस्तक में जहाँ कहीं भी घी शब्द आया है, उसे देशी गाय के दही को मथकर निकाले गये मक्खन को तपाकर बनाया गया घी ही समजें। आजकल यंत्र से दूध से क्रीम (बंटर) निकाला जाता है, फिर उसे गर्मकर घी बनाया जाता है। यह वास्तव में घी नहीं बटर ऑइल है। इसके * धर्म बिल्कुल अलग है और यह औषधि के लायक नहीं। आजकल बाजार में शुद्ध गाय के घी के नाम पर भी बटर ऑइल ही बिक रहा है। देशी गाय का घी इससे 2 1/2 -3 गुणा महंगा है। और जैसे-जैसे इसका औषधीय महत्त्व पता चलता जायेगा यह महंगा ही होता जायेगा इसे सस्ता रखने का एक ही उपाय है कि गौरक्षण व गौसंवर्धन किया जायें और उसके गोबर - गौमूत्र का भी पूरा - पूरा उपयोग किया जाए । आगे जहाँ कहीं नस्य घृत ( नाक में घी डालने की बात आयेगी। वहाँ निम्न विधि से ही नाक में घी डालना है । लेटकर या कुर्सी पर बैठे हों तो सिर को पीछे की ओर झुकाकर एक-एक नासाछिद्र में दो-दो बूँद घी डालें ! 5 मिनिट इसी तरह रहें। मौन रखें। घी को खीचें नहीं, सामान्य श्वास लेते रहें। घी का तापमान हमेशा शरीर के तापमान से अधिक होना चाहिए। घी को सीधे अग्नि पर गर्म ना करें, घी के पात्र (बोतल ) को तेज गर्म पानी • में रखकर गर्म करें। इसी प्रकार से आगे जहाँ कहीं भी दूध में घी लेने की बात आये उसे निम्न विधि से ही लें तेज गर्म दूध में दो चम्मच घी डालकर दो गिलासों में खूब उथल-पुथल करें (फेटें)। इससे दूध में झाग ही झाग हो जायेंगे। गर्म-गर्म दूध-घी का ही सेवन करें। गौ चिकित्सा के समय मांसाहार, शराब, तंबाकू, सिगरेट, गुटखा आदि व्यसन पूर्णतः वर्जित हैं । किसी भी उपचार पद्धति के साथ आप पंचगव्य चिकित्सा ले सकते हैं। इसका किसी भी पद्धति से विरोध नहीं है, बल्कि गौमूत्र अर्क तो अन्य औषधियों की शक्ति (Potency) को बढ़ा देता है। लाभ होने पर आप पहले से चल रही चिकित्सा बंद भी कर सकते है। आयुर्वेद चिकित्सा, होम्योपैथी चिकित्सा, एक्यूप्रेशर, चुंबक चिकित्सा, योग चिकित्सा आदि पंचगव्य चिकित्सा के साथ लें तो गंभीर रोगों में भी बहुत जल्दी लाभ होता है। गौमाता पंचगव्य चिकित्सा 94.

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