________________
.
2. गाय के घी का अधिकाधिक सेवन करें। गाय का घी घाव पर मलहम का कार्य करता है, जिससे एसिड का घाव पर प्रभाव नहीं पड़ता और वह धीरे-धीरे भर जाता है। घी पित्त का भी शमन करता है। 3. दूध में घी डालकर पीयें। अपथ्य : खटाई, तली चीजें, मावा, मैदा, बेसन, मिर्च, गरिष्ठ, भोजन पथ्य : दूध, छाछ, मेथी, जामुन, परवल, कुलथी, शहद, पपीता, गेहूँ, मिश्री युक्त जौ का सत्तू, सेंधा नमक विशेष : थोड़ा - थोड़ा खायें, 3-3 घंटे से खायें। अधिक देर तक पेट को खाली न
रखें।
2. रात को सोते समय नाभि पर दो-तीन बूंद घी लगाकर अनामिका उंगली से मंथन करें।
' 6. अम्लपित्त (खट्टी डकारें आना, Acidity) 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (विसक) कर छानकर पीयें।
या
, गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. छाछ या गौतक्रासव या गौमूत्र हरड़े चूर्ण का सेवन करें। 3. दूध में घी डालकर पीयें। इससे पुराने से पुरानी एसिडीटी एक महिने में समूल नष्ट हो जाती है। अपथ्य : फ्रिज की ठंडी चीजें, ठंडा दूध, मिर्च, तेल, खटाई, खमीर वाले आहार, मैदा, बेसन, मावे की मिठाई, चाय-कॉफी। भूखा रहना। पथ्य : सुपाँचय भोजन 'विशेष : 1. भोजन के तुरन्त बाद एक गिलास गर्म पानी पीयें। 2. रात को सोते समय नाभि पर दो-तीन बूंद घी लगाकर अनामिका उंगली से मंथन
करें।
7. पेट में कीड़े (कृमि Worms) - 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (विसक) कर छानकर पीयें।
. या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. गाय के दूध में शहद डालकर 15 दिन तक पीयें। गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
.98.
..........