Book Title: Gaumata Panchgavya Chikitsa
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 107
________________ 2. छाछ या गौतक्रारिष्ट का सेवन करें। अपथ्य : खटाई, तली चीजें, गर्म मसालें, आलू, बैंगन पथ्य : परवल, सहेजना । विशेष : यह उपचार लगातार छ: महीने तक करें। 27. हेपेटायटिस बी 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को . आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र पुनर्नवादि अर्क, गौमूत्र पुनर्नवादि घनवटी या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. प्रतिदिन छिलके सहित कच्ची लौंकी का एक गिलास रस निकाल 5 काली मिर्च + . 5 तुलसी के पत्तें + 5 पौदीने के पत्ते घोंटकर मिलायें 3. 31 पत्ती श्यामा तुलसी का रस एवं उतना ही शहद मिलाकर सेवन करें। अपथ्य : खटाई, तली. चीजें। पथ्य : गेहूं के जवारे, मूली, नारियल, पपीता, अनार।. . 28. टांसिल्स 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. 7 ग्राम फिटकरी (गर्म तवे पर फूली हुई) एक गिलास गुनगुने पानी में डालकर गरारे करें। . 3. नाक में गाय के घी की दो-दो बूंदे डालें। 4. दूध में घी या त्रिफलादि घृत डालकर पीयें। अपथ्य : खट्टा, तला, फ्रिज का ठंडा, मिर्च, मसाले पथ्य : घी का हलवा, दलिया, चावल, जौ का पानी, मूंग, सहेजना, करेला. 0000 गौमाता पंचगव्य चिकित्सा

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