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3. सायनस
1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या
गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. प्रतिदिन नाक में घी डालें।
3. सुबह नाक से ताजा गौमूत्र खीचें ।
अपथ्य : अचार, इमली आदि तेज खटाई । तली चीजें, आलू केला, दही पथ्य : मेथी, चना, लौकी, अनार,
विशेष : सर्दी-जुकाम न होने दें।
4. दमा (Asthma)
1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्रासव का सेवन करें।
2. 100 ग्राम कच्चे जमीकंद को 50 ग्राम पुराने देशी गुड़ के साथ कूटकर प्रतिदिन सुबह सेवन करें।
3. नाक में घी डालें। इससे एलर्जी से होनेवाला दमे का आक्रमण नहीं होगा
अपथ्य : फ्रिज की ठंडी चीजें, तेली चीजे, अधिक घी, दूध, दूध से बने पदार्थ दही, कच्ची छाछ उड़द की दाल, दिन में सोना, तेज हवा, गुड़-शक्कर वाले पदार्थ मैथुन पथ्य : रूखे अन्न, चना, गेहूँ, ज्वार, पत्तीवाली सब्जियाँ, कुम्हड़ा, मुनक्का, दालें, लौंग, इलाइची, खजूर, तुलसी, काली मिर्च, सोंठ, सात्विक विचार
विशेष : 1. हमेशा भोजन के बाद गर्म पानी पीयें।
2. कम से कम छः मास तक गौमूत्र का सेवन करें।
5. क्षय रोग (टी. बी. Tuberculosis)
क्षय रोग अधिकतः भय, शोक, क्रोध, काम विचार जैसे मनोविकार के कारण होता है | पंचगव्य सात्विक होने के कारण उससे शरीर के साथ-साथ मन भी स्वस्थ होता है।
1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।
2. गाये के दूध में 1-1 चम्मच पंचगव्य घृत डालकर दिन में तीन बार लें।
3. नाक में भी पंचगव्य घृत की दो-दो बूँदें डालें । गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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