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4. प्रतिदिन आधा ग्राम फूली हुई फिटकरी (गरम तवे पर फुलाएँ) आधा ग्राम मिश्री के साथ सेवन करें। 5. कच्चे लहसुन की कली का सेवन करें। . अपथ्य : खटाई, तली चीजें, हींग, गर्म मसाले, दही, मावे की मिठाइयाँ, श्रम, चिंता, क्रोध, मैथुन .
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. . पथ्य : गाय का दूध, शहद, पपीता, सुपाँचय भोजन, हरी सब्जियाँ, मुनक्का, फल, ब्रह्मचर्य (भगवान का स्मरण, सात्विक विचार) विशेष : गौशाला में सोने से और उसके गोबर-गौमूत्र की गंध फेफड़ों में पहुंचने से क्षय रोग के बैक्टीरिया से बहुत जल्दी मुक्ति मिलती है। नित्य खाली पेट गौमाता को बड़े श्रद्धा भाव से सींग से पूँछ तक सहलाना चाहिए (थकान महसूस न हो तो 15-20 मिनिट तक) इससे रोगी को रोग से लड़ने की शक्ति मिलती है। मन सात्विक हो जाता
6. उरस्तोय ( प्लूरिसी Pleurisy)
फेफड़ों की झिल्ली में पानी भरने से यह रोग होता है। गौमूत्र स्वेदल (पसीना निकालनेवाला) है, गौमूत्र से पसीने व मूत्र के मार्ग से जल निकल जाता है, जिससे फेफड़े रूक्ष होकर स्वस्थ हो जाते हैं। अन्य कोई संक्रमण हो तो वह भी नष्ट हो जाता है। 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासंव या गौमूत्र. हरीतकी वटी का सेवन करें। . अपथ्य : ठंडी हवा, नम हवा, फ्रिज की चीजें, चावल, घी, तेल, दही, ठडे फल पथ्य : दूध -शहद, मूंग, चना, गेहूँ, गर्म पानी
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7. निमोनिया .. 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ
परत (fold) कर छानकर पीयें। या. - गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।
2. नाक में दो-दो बूंद गाय का घी डालें। . 3. पैर के तलवों पर सरसों के तेल की मालिश करें।
अपथ्य : खटाई, तली चीजें, ठंडी चीजें पथ्य : चोकर, लौंग, तुलसी + काली मिर्च, सौंठ, खजूर
0000 गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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