Book Title: Gaumata Panchgavya Chikitsa
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 106
________________ विशेष : सरसों या तिल का तेल मुँह में भर 5-10 मिनिट तक कुल्ला करें। 23. वमन (उल्टी Vomiting) वमन का मूल कारण, आम विष या असेंद्रिय पदार्थ का बन जाना है। प्रकृति उसे निकालती है। दस्त आ जाने से वमन का वेग समाप्त हो जाता है। 1. थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क का सेवन करें। 2. पानी में लौंग डालकर उबालकर पिलायें । 3. दूध में समान मात्रा में पानी मिलाकर उबालकर ठंडा करके शहद मिलाकर पिलायें । अपथ्य : सभी प्रकार के अन्न, तली चीजें पथ्य : नींबू + सेंधा नमक + काला नमक चूसना । अजवायन, अनार, मौसन्बी, सौंफ, मुनक्का, आँवला 24. आधमान (अफारा Flatulence ) 1. गौमूत्र हरड़े चूर्ण को गर्म पानी के साथ लें। 2. पेट पर गौमय वातनाशक तेल लगायें । 3. गौतक्रासव का सेवन करें। अपथ्य : समस्त अन्न, दही, चावल पथ्य : गर्म पानी में नींबू निचोड़कर पिलाना, सेंधा नमक । 3 25. हिचकी (Hiccough) हिचकी अधिक आती हो, तो उसका एक ही उपाय है, घी पीयें और उसके ऊपर गर्म - पानी पीयें या गर्म दूध में घी डालकर पीयें । 26. सिरोसिस ऑफ द लीवर 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र पुनर्नवादि अर्क, गौमूत्र पुनर्नवादि घनवटी . या गौमूत्र हरीतकी वटी लेने से सिरोसिस ऑफ द लीवर जैसा असाध्य रोग भी ठीक हो जाता है। गौमाता पंचगव्य चिकित्सा 105

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