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हाथी पाँव (फाइलेरिया) रोग में गौमूत्र सुबह में खाली पेट लेने से यह रोग . मिट जाता है। गौमूत्र का क्षार उदर वेदना में, मूत्ररोध में तथा वायु व अनुलोमन करने के लिए दिया जाता है। गौमूत्र सिर में अच्छी तरह मलकर थोड़ी देर तक लगे रखना चाहिए। सूखने के बाद धोने से बाल सुन्दर होते हैं। . कामला रोग में गौमूत्र अतीव उपयोगी है। गौमूत्र में पुराना गुड़ और हल्दी चूर्ण मिलाकर पीने से दाद, कुष्ठरोग और हाथी पाँव में लाभ होता है। गौमूत्र के साथ एरंड तेल एक मास तक पीने से संधिवात और अन्य वातविकार नष्ट होते हैं। बच्चों को उदर वेदना तथा पेट फूलने पर एक चम्मच गौमूत्र में थोड़ा नमक मिलाकर पिलाना चाहिए। बच्चों को सूखा रोग होने पर एक मास तक, सुबह और शाम गौमूत्र में केशर मिलाकर पिलाना चाहिए। शरीर में खाज-खुजली हो तो गौमूत्र में नीम के पत्ते पीसकर लगाना चाहिए। गौमूत्र के नियमित सेवन से शरीर में स्फूर्ति रहती है, भूख बढ़ती है और रक्त का दबाव स्वाभाविक होने लगता है। - क्षय रोग में गोबर और गौमूत्र की गंध से क्षय के जंतु का नाश होने से अच्छा लाभ होता है। Ring-Worm दाद पर, धतूरे के पत्ते गौमूत्र में पीसकर गौमूत्र में ही उबालें। गाढ़ा होने पर लगावें। टाइफायड की दवाएं खाने से अक्सर सिर या किसी स्थान के बाल उड़ जाते हैं तो इसके इलाज हेतु गौमूत्र में तम्बाकू को खूब पीसकर डाल देवें। 10 दिन बाद पेस्ट टाइप बन जाने पर अच्छा रगड़ कर बाल झड़े स्थान पर लगान से बाल फिर आ जाते हैं। सिर में भी लगा सकते हैं। इसके अलावा विभिन्न रोगों में गोमूत्र के उपयोग की विस्तृत जानकारी आगे दी जा रही
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गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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