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1. ताजा गोबर 1 किलो
भा. प्र. नि. 2. मुलतानी मिट्टी 1 किलो भा. प्र. नि. 3. गेरू का चूर्ण 100 ग्राम भाः प्र. नि. धात्वादिवर्गः 4 हल्दी का चूर्ण 50 ग्राम ।
द्र. गु. वि.
द्वितिय अध्याय
कुष्ठघ्र-62 5 दूध ऐच्छिक व आवश्यकतानुसार (रूखी त्वचा के लिए लाभकारी) निर्माण विधि : 1. घटक 2,3,4 का कपड़छन चूर्ण बनाकर रख लें। इसे ताजे गोबर में अच्छी तरह मिलाकर सुखा लें। सुखने पर इसका पुन: कपड़छन चुर्ण बनाकर भर लें। 2. दूसरी विधि में गोबर के साथ-साथ दूध का भी मिश्रण कर दें। गुणधर्म : चेहरे की चमक बढ़ाता है, मुँहासों से छुटकारा दिलाता है, त्वचा पर पड़े काले दागों को मिटाता है, पसीने की दुर्गध का नाश करता है, त्वचा को पोषण देता है, खाज-खुजली मिटाता है, त्वचा में छिपे कीटाणुओं का नाश करता है, बालों की रूसी से छुटकारा दिलाता है, रक्त चाप को सामान्य करने में मदद करता है, जोड़ों के दर्द में लगाकर धूप में बैठने या.सेक देने से आराम पहुँचाता है। तेज बुखार में सिरदर्द या तेज जुकाम होने पर ललाट पर मोटा लेप लगायें, मिनिटों में आराम मिलेगा, 2-3 घंटों में बुखार भी उतर जायेगा। ... ... . .. . . . . उपयोग की विधि : दूध, दही, छाछ या पानी के साथ प्रयोग करें। रूखी त्वचा वाले दूध . या दही के साथ, तैलीय त्वचावाले. पानी के साथ और बालों में छाछ के साथ प्रयोग करें।
. 25. अंगराग बट्टी (गौमय साबुन) , घटक : मात्रा ग्रंथ . अध्याय 1. ताजा गोबर . 1 किला . भा. प्र. नि. .
. . 2. मुलतानी मिट्टी 1 किलो . . भा. प्र..नि. : 3. गेरू का चूर्ण 100 ग्राम .भा. प्र. नि धात्वादिवर्गः 4. हल्दी का चूर्ण 50 ग्राम द्र. गु. वि. .. द्वितिय अध्याय
। कुष्ठघ्र 62 . - 5 नीम के पत्तों का 500 मि.ली. भा. प्र. नि..
. काढ़ा : निर्माण विधि : ताजे गोबर में छने हुए नीम के पत्तों के काढ़े को मिलाकर मोटी चलनी से एक बार पुनः छानें। इसमें घटक 2,3 और 4 के कपड़छन चूर्ण को अच्छी तरह से मिलाकर साँचे या डाई में दबाकर टिकिया बना लें। और धूप में सुखा दें। गुणधर्म : चेहरे की चमक बढ़ाता है, मुँहासों से छुटकारा दिलाता है, त्वचा पर पड़े काले दागों को मिटाता है, पसीने की दुर्गध का नाश करता है, त्वचा को पोषण देता .
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गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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