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घटक :
1. मूर्च्छित गोघृत
2. अर्जुन की छाल
घटक : 1. चमेली के पत्ते
2. नीम के पत्ते
3. पटोल पत्र
4. मैनसिल
5. हल्दी
6. दारू हल्दी
7. कुटकी
8. मजीठ
18. अर्जुन घृत (आयुर्वेद सार संग्रह घृततैल प्रकरण)
3. जल
निर्माण विधि : सर्वप्रथम अर्जुन की छाल 1 किलो लेकर जौ कूट करें। तत्पश्चात इसमें 16 किलो जल मिलाकर क्वाथ करें। 4 किलो जल शेष रहने पर उतारकर छान लें। बाद में अर्जुन की छाल 100 ग्राम लेकर उसका कल्क बनावें । फिर ऊपरोक्त क्वाथ, घृत और कल्क को मिलाकर घृतपाक विधि से घृतपाक कर लें । घृत सिद्ध हो जाने पर छानकर सुरक्षित भर लें।
गुणधर्म : हृदय रोग और वात की तकलीफ में अत्यंत लाभदायक।
मात्रा : 2.5 से 5 ग्राम मिश्री के साथ चटाकर ऊपर से गर्म गाय का दूध पिलायें । 19. जात्यादि घृत
(रसतंत्रसार व सिद्धप्रयोग संग्रह - घृततैल प्रकरण )
9. मुलहठी
10. करंज के पत्ते
17. नेत्रबाला
1 किलो
2 किलो और अर्जुन कल्क 100 ग्राम 16 किलो
10 ग्रांम
10 ग्राम
10 ग्राम
10 ग्राम
10 ग्राम
10 ग्राम
10 ग्राम
10 ग्राम
10 ग्राम
10 ग्राम
10 ग्राम
३० ग्राम
10 ग्राम
12. अनंतमूल
13. नीला थोथा
14. गाय का घी
500 ग्राम
निर्माण विधि : घटक़ 1 से 12 तक सभी 1-1 तोला पानी में घोटकर लुगदी बना लें।
गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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