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6. सेंधा नमक 10 ग्राम 7. पीपल .. 10 ग्राम 8. गोघृत 280 ग्राम 9. जल
12 लीटर निर्माण विधि : सभी औषधियों को समभाग लेकर कल्क करें, बाद में कल्क के चार गुणा जल मिलाकर यथा विधि घृत सिद्ध करें। गुणधर्म : यह घृत बालकों को रोज चटाने से उनकी बुद्धि बढ़कर धारणशक्ति तीव्र होती है एवं बालक स्वस्थ और पुष्ट बनता है। मात्रा : 1-1 ग्राम सुबह और शाम मिश्री में या भोजन के पहले ग्रास में मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें।
17. ब्राह्मी घृत (रसतंत्रसार व सिद्ध प्रयोग-प्रथम खंड घृततैल प्रकरण) . घटक : • 1. ब्राह्म का स्वरस
4 किलो 2. गोघृत
2 किलो 3. सोंठ
10 ग्राम 4. कालीमिर्च
10 ग्राम 5. सफेद निसोत
10 ग्राम 6. काली निसोत
10 ग्राम 7. शंखाहुली ।
10 ग्राम 8. दन्तीमूल
10 ग्राम 9. पीपल
10 ग्राम 10 वायविडंग
10 ग्राम 11. सातला की छाल
- 10 ग्राम 12. अमलतास फली का गूदा 10 ग्राम 13. जल
.... 8 लीटर . निर्माण विधि : ब्राह्मी का स्वरस 4 किलो और गोघृत 2 किलो लें। घटक 3 से 12 को जल में पीसकर कल्क करें। फिर सबको 8 लीटर जल में मिला मंदाग्नि . पर पकाकर घृत सिद्ध करें। गुणधर्म : यह घृत उन्माद, कुष्ठ, अपस्मार, मगज की निर्बलता और मंदाग्नि को दूर करता है। मलावरोध का नाश करता है। मात्रा : 5-10 ग्राम दिन में दो बार।
गौमाता पंचगव्य चिकित्सा :
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