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6. शहद या गुड़
1 किलो 7. गौघृतं .
आवश्यकतानुसार . 8. धायटी पुष्प
100 ग्राम निर्माण विधि : पहली विधि : गौमूत्र को पहले उबालें वनस्पति घटकों का चूर्ण गौमूत्र में मिलाइये फिर उसमें शहद अच्छी तरह से मिलाकर घृत सिद्ध मिट्टी के पात्र या wooden wax में छोड़कर धायटी पुष्प संधान विधि से संधान करें और 15-20 दिनों के बाद जब : किण्वन की क्रिया हो जाय तब छानकर बोतल में भर दें। दूसरी विधि : गौमूत्र को पहले उबाल लें ताकि इसकी अमोनिया गैस निकल जाए और गंध नष्ट हो जाये। बर्तन मिट्टी का हो। फिर छानकर गुड़ को गलाकर पुन: गर्म करें। एक बार पुन: गुड़ सहित छानें। आजकल गुड़ बनाते समय रसायनों का उपयोग किया जाता है, ऐसा गुड़ काम में ना लें, यह संधान 15 दिन तक रहना चाहिए। फिर
बिना हिलाये ऊपर से आसव निथार लें ताकि इसका गाद भाग यूरिया तलछट में नीचे रह - जाये और गौमूत्र आसव पतला व पारदर्शक बनें.
गुणधर्म : पाँचन शक्ति को सुदृढ़ बनाता है, भोजन में रूचि जगाता है, यकृत को बल देता है, उदर रोगों का नाश करता है। साँस की तकलीफ, खाँसी, दमा में विशेष लाभदायक, कुष्ठ रोग में भी लाभदायक। जितना पुराना आसव होगा उतना ही अधिक गुणकारी होगा। मात्रा : गौमूत्र से आधी मात्रा, दोनों समय भोजन के बाद पानी के साथ। विशेष : मधुमेह के रोगी पहली विधि से बना आसव ही लें, दूसरी विधि से बना आसव नहीं। .. ..
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6. बालपाल रस
घटक : 1. ब्राह्मी (मण्डूकपर्णी) 2. अश्वगंधा
250 ग्राम 250 ग्राम
द्र. गु. वि.. व. चं. द्र. गु. वि. द्र. गु. वि
प्रथम अध्याय 1 . भाग। . . नवम अध्याय 343 सप्तम अध्याय 234
3. शतावरी
250 ग्राम
भा. प्र. नि.
मूत्रवर्ग:
4. गौमूत्र 5. शक्कर 6. खाने का रंग
20 लीटर आवश्यकतानुसार
। ग्राम
ENER
गामातापचगव्य चाक
त्सा 22