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7. नींबू का सत
5 ग्राम निर्माण विधि : घटक 1 से 3 तक बारीक पीसकर गौमूत्र में डालकर आसवन यंत्र . से अर्क निकालकर उसमें शक्कर डालें। ठंडा होने के बाद खाने का रंग और नींबू का सत डालकर बोतल भरें। गुणधर्म : बालक के अपचन, अफरा, पेट के कीटाणु (कृमि), दूध फेंकना, उल्टी, दूध का पाँचन न होना, रोग प्रतिरोधक शक्ति की कमी, ग्रोथ फेक्टर की कमी, दाँत निकलने के समय के कष्ट, मानसिक दुर्बलता, अविकसित मस्तिष्क व अन्य बाल रोगों से बचाव व चिकित्सा होती है। यकृत व फेफड़ों के रोगों से भी रक्षा होती है। नित्य देते रहने से बालक स्वस्थ रहता है।. मात्रा : गौमूत्र से आधी मात्रा
7. नारी संजीवनी घटक : 1. शतावरी
250 ग्राम द्र. गु. वि सप्तम अध्याय 234 . 2. अश्वगंधा
250 ग्राम द्र. गु. वि नवम अध्यायः 343 3. अशोक . . . 250 ग्राम द्र. गु. वि सप्तम अध्याय 261 4. गौमूत्र
20 लीटर 5. शक्कर
आवश्यकतानुसार 6. खाने का पीला रंग 1ग्राम 7. नींबू का सत . 5 ग्राम निर्माण विधि : घटक 1 से 3 तक बारीक कूट पीसकर गौमूत्र में डालकर आसवन यंत्र से अर्क निकालकर उसमें शक्कर डालें। ठंडा होने के बाद खाने का रंग और नींबू का सत डालकर बोतल भरें। गुणधर्म : महिलाओं के मासिक धर्म की किसी भी प्रकार की गड़बड़ी (Menstrual Disorder) श्वेत प्रदर (Leucorrhe), रक्त प्रदर तथा इनके द्वारा होनेवाली सब प्रकार की कमजोरी, कमर दर्द, हाथ-पाँव फूलना, सिरदर्द, जी घबराना, चक्कर आना, दिल की कमजोरी, पेट में गैस बनना, हथेली पैर के तलवे जलना, दिमागी गर्मी, क्रोध आना, नींद कम आना, मुहाँसे आदि रोग ठीक होते हैं। हमेशा लेते रहने से महिलाओं के स्वास्थ्य व सुंदरता की रक्षा होती है। । मात्रा : गौमूत्र से आधी मात्रा।
8. गौमूत्र पुनर्नवादि अर्क
घटक :
गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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