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हम सबका, आपका दुर्भाग्य हैं कि आजादी मिले हुये 50 साल हो गये हैं लेकिन केन्द्रीय - स्तर पर आज तक ऐसा कोई कानून नहीं बन पाया। जिससे इस देश में पशुओं के कत्ल
को रोका जा सके। आजादी के पहले जिस तरह से देश चलता था। आजादी के बाद भी वैसे ही देश चल रहा है।
दुर्भाग्य से आज ज्यादा खराब हालत हैं। आंकड़े यह बताते हैं कि अंग्रेजों ने हिन्दुस्तान में 350 कत्ल कारखाने चलाये। आज आजादी के 50 साल में हिन्दुस्तान '. में 36 हजार कत्ल कारखाने हैं। जब आजादी नहीं मिली थी तो 350 कत्ल कारखाने
थे। अब आजादी मिलने के बाद 36 हजार कत्ल कारखाने हैं। और उनमें से एक एक कत्ल कारखाना कितना जबरदस्त है कि एक-एक कत्ल कारखाने ऐसे हैं के दस हजार पशु रोज काटे जाते हैं। यही बंबई में हैं। देवनार में हैं। मेरठ में है। अलकबीर का है। कलकत्ता में हैं। हिन्दुस्तान के तमाम ऐसे बड़े-बड़े ऐसे कारखाने हैं जिनमें एक दिन में कम से कम दस हजार पशु काट दिये जाते हैं। आप जरा कल्पना करिये कि जितनी देर में आप का चौबीस घंटा बीतता हैं। माने आप रात को सोते है और अगले दिन रात को सोने की तैयारी करते हैं। उतनी देर में दस हजार जानवरों की बलि ले ली जाती हैं।
- क्या हालत हैं इस देश की। अंग्रेजों के जमाने के आंकड़े बताते हैं मैंने आप • से कहा कि लगभग 30 साल के अंदर अंग्रेजों ने हिन्दुस्तान में दस करोड़ गौवंश का कत्ल करवाया। आज आजादी के 50 साल में जिस साल से हमें आजादी मिली हैं उस साल से 1997 से 1998 के साल तक आते-आते हिन्दुस्तान में लगभग 38 करोड़ गौवंश का नाश किया जा चुका है। अंग्रेजों ने 30 साल में करवाया लगभग दस करोड़
और हमारी सरकार ने पचास साल में करवा दिया 38 करोड़। गौवंश का कत्ल माने पचास करोड़ गाय, नंदी, बछड़े-बछड़ीया यह सब काटे जा चुके हैं। जितने साल में आपने आजादी के पचास साल पूरे किये और आप जरा कल्पना करिये कि अगर यह 38 करोड़ या 50 करोड़ गौवंश के जानवरों को बचा लिया जाता। तो हिन्दुस्तान में आज संपत्ती और संपदा कितनी होती। पैसा कितना होता।
क्योंकि आपको मालूम नहीं हैं। एक गाय घर के दरवाजे पर अगर बंधी है। और वो सालभर दूध दे या ना दे बिना दूध की गाय अगर आपके दरवाजे पर बंधी हुई हैं तो एक साल के अंदर वो गाय पच्चीस हजार रुपये का फर्टीलायजर पैदा करती हैं। खाद पैदा करती हैं। जिसको आप गोबर कहते हैं। तो अगर एक गाय पच्चीस हजार रुपये का फर्टीलायजर पैदा करती है एक साल में, तो गौवंश के जो पचास करोड़ पशुओं का कत्ल हो गया हैं। तो आप सोचिये कितने करोड़ रुपये के खाद का नुकसान किया हैं हमने पिछले पचास साल में। और आप सब जानते हैं और हम भी जानते हैं कि गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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