Book Title: Gaumata Panchgavya Chikitsa
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 48
________________ कैसे होता है। यह सारी थ्योरीज आपके सामने खुलती हैं तो उन थ्योरी को सपोर्ट करने के लिए हमारे अपनें लॉजिक हैं। उनमें से एक लॉजिक है। यह देखो भाई पुर्नजन्म होता हैं। कर्म के हिसाब से जन्म मिलता है। तो हमने कर्म की थ्योरी को उसमें लगा दिया जिसको सभी मानते हैं। इस देश में चाहे वो जैन हो या सनातनी हिन्दु हो। कर्म. के सिद्धांत को सब मानते हैं। . .. __ कर्म अच्छा करोगे तो अगला जन्म अच्छा मिलेगा खराब किया तो खराब मिलेगा। अच्छा और खराब क्या? अच्छा कर्म किया तो हो सकता हैं मनुष्य जन्म मिले। खराब कर्म किया तो चीटी बन गए; मख्खी बन गए, मच्छर बन गए, छिपकली बन गए, सांप बन गए, मेंढ़क बन गए। अब यह तो थ्योरी है। हम छिपकली हो सकते हैं, चीटी हो सकते हैं, सांप हो सकते हैं, मेंढ़क हो सकते हैं, मख्खी हो सकते हैं, मच्छर हो सकते हैं, 84 लाख किस्म के जीव-जंतु हैं। उनमें से कोई भी जन्म हमें मिल सकता है। अगर कर्म अच्छा नहीं किए तो अब इसके आगे हम गए। हमने क्या किया कि भले हम अगले जन्म में कुछ भी बने। इस जन्म में हम मनुष्य हैं लेकिन अगले जन्म में अगर हम कुछ और बन गए। और हमने इस मनुष्य जन्म में रहते हुए कुछ ऐसे जीव-जंतुओं को मार डाला। क्या पता हम भी अगले जन्म में वही बन गए और हमको किसीने मार डाला फिर कोई और बन गया तो उसने किसी को मार डाला। तो यह मारामारी कब तक चलेगी। इसलिए अहिंसा का दर्शन हमने ले लिया कोई किसी को ना मारे अब कोई किसी को ना मारे यह अहिंसा के दर्शन से निकला है। पुर्नजन्म की फिलोसॉफी में से। फिर इसमें हमारे देश में ज्ञानी लोग आ गए। जैसे- एक बहुत बड़े महान तपस्वी ज्ञानी जिनका नाम था महावीर स्वामी तीर्थकार हो गए। उन्होंने हमको यह ज्ञान दे दिया। उनको ज्ञान तो अद्भूत हो गया। केवल ज्ञान जिसकी कल्पना है। उनका केवल ज्ञान यह है कि 84 लाख किस्म के जीव-जंतु, किसकी क्या भुमिका है यह उनको मालूम है। और 14 वर्षों की उनकी जो तपस्या है। वो इसी बात के लिए है कि यह सृष्टी है। प्रकृति है। इसमें कोई जीव है वो कहा क्या कर रहा है। दूसरा है, उसको सपोर्ट कर रहा है। तीसरा है, उसका कॉम्पलीमेन्ट्री है तो यह सब क्या व्यवस्था है। यह उनको ज्ञान हुआ तो वो केवल ज्ञान है तो बोल कर चले गए की देखो भाई यह जीव प्रकृति व्यवस्थित तरीके से चल रही है इसको डिस्टर्ब मत करना। क्योंकि इनके जिंदा रहने से तुम जिंदा हो तो उन्होंने कहा छोटे भी जीव को हानि नहीं पहुँचाना! चाहे वो देखा हुआ हैं या नहीं देखा हुआ है। कई जीव ऐसे होते हैं ना जो आँख से दिखते है। कई नहीं दिखते है। तो जो नहीं दिखते हैं उनको भी हानि नहीं पहुँचनी चाहिए। जो दिख रहे हैं उनको तो पहुँचना ही नहीं चाहिए। और फिर उन्होंने गौमाता पंचगव्य चिकित्सा

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