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ने प्रभावित किया है उन सब लोगों ने एक दुसरों को जमकर लुटा। एक दूसरे की माताओं-बेटियों के साथ जमकर बलात्कार किए। एक दूसरे की जेबें कांटी। एक दूसरे , के घरों में घुसके सामान लेके आ गए! भयंकर लूटमार अमेरिका में चलती रही 7 दिन तक। जब जॉर्ज बुश को समझ में आया कि लॉएण्ड ऑडर की प्रॉब्लम है। तब उसने आर्मी भेजी वहाँ लेकिन आर्मी को भी उसको कंट्रोल करने में तीन दिन और लग गए। दस दिन तक अमेरीका में जमकर तांडव हुआ। और जलजले से प्रभावित लोगों ने एक दूसरे को मारा, एक दूसरे को लुटा, एक दूसरे के साथ बलात्कार किया, घरों में आग लगाई। सब कुछ हुआ, यह है सभ्यता।
अभी भारत की बात करता हूँ। भारत में भी सुनामी आयी थी और हमारे भी तीन राज्य उससे बुरी तरह प्रभावित हुए थे। और सुनामी के बाद हमारे मुंबई के आजू-बाजू के करीब चार सौ-साड़े चार सौ गांव बुरी तरह से प्रभावित हुए थे। इन दोनों ही दुर्घटनाओं में मैंने काम किया था सेवा के रुप में। और हर जगह मैंने देखा कि भारत में जहाँ यह भयंकर आपत्ति आई है। वहाँ एक भी भारत वासी ने दूसरे को नहीं लुटा। किसी भी भारत वासी ने किसी के बहन के साथ बलात्कार नहीं किया। किसी भी भारत वासी ने किसी भी माँ के साथ बत्तमिजी नहीं की। सबने एक दूसरे
को मदत किया। यह है सभ्यता। क्यूँ? पुर्नजन्म होता है। हाँ, सारे देशवासी एकटे होकर पहुँच गए कि भाई इनकी मदद करो। आप में से भी कुछ गए होंगे। क्यूँ-क्या मालूम अगले जन्म में हमारे साथ ऐसा हो जाए। तो ये जो पुर्नजन्म है ना, यह बहुत .कुछ कराता हैं। अगर हम पुर्नजन्म से नहीं बंधे हों तो हम भी वैसे ही व्यवहार करेंगे
जैसे अमेरिका में होता है। तो पुर्नजन्म की यह फिलोसॉफी है जिसने हमको बांधा हैं एक साचे में। हम वैसे ही रिअॅक्ट करते हैं जैसी हमारी फिलोसॉफी है। और सायन्स और टेक्नोलॉजी को वैसे ही आगे बढ़ाते हैं जैसे हमारी फिलोसॉफी है।
अभी देखो सायन्स-टेक्नोलॉजी पर मैं आता हूँ समझाता हूँ आपको। मेरी माँ झाडू लगाती है! बचपन से मैं उसको देखता हूँ घर में झाडू लगाते हुए। तो एक बार मैंने मेरी माँ को पूछा यह जो झाडू हैं। उसके आगे का हिस्सा ऐसा क्यूँ खुला हुआ है। क्यूँ आगे पीछे एक जैसा क्यूँ नहीं। तो मेरी माँ ने समझाया- देखो यह आगे का हिस्सा खुला हुआ है। इसलिए कि झाडू लगाऊ तो चींटी ना मर जाए इसके लिए खोल के रखा है। उसको तो स्पेस हैं ना चींटी को निकल के जाने के लिए। एक सींक से दूसरे सींक के बीच में स्पेस है तो वो निकल के चली जायेगी। तो यह है टेक्नोलॉजी। हमने झाडू भी बनायी तो यह ध्यान रखा है कि उसके नीचे चींटी ना मर जाए। और भारत में एक तो सीक झाडू होती हैं। और तो एक दूसरी झाडू होती हैं। जो बहुत ही सॉफ्ट होती है। क्या कहते है उसको 'फुलझाडू' कहते हैं। उसको बनाते समय ध्यान रखा है कि अगर उसमें स्पेस नहीं हो तो झाडते समय चींटी जिंदा जाए। यह है हमारी
गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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