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हो जाओगे। मैं तो नहीं आनेवाला। मुझे तो यह दुनिया देखने को फिर कभी नहीं मिलने वाली। इसलिए मेरी चिंता है यह एटम बम। यह जो जल्दबाजी के लोग होते है ना उनकी सबसे बड़ी चिंता हैं कि यह होना चाहिए, वो होना चाहिए। क्योंकि शांति से उन्हें इसी जन्म में सब कुछ भोगना है। सारा भोग इसी जीवन में करना है। चाहे एड्स हो जाए, चाहे डायबिटीज हो जाए, चाहे कुछ हो जाए, भोग नहीं छोड़ना है ताकि अगला -- जन्म नहीं है। यह तो हैं युरोप और अमेरीका।
_अब भारत में देखो- एक बार मैं एक गांव में गया। यह सच्ची घटना सुनाता हूँ आपको। बस्तर नाम का एक जिला है छत्तीसगढ़ में। तो वहाँ के सरपंच को मैंने कहा की मेरा नाम राजीव दीक्षित है। मैं आपके गांव के किसानों से बात करना चाहता हूँ तो कहने लगे क्या बात करना चाहते है। मैंने कहा भारत देश में बहुत सारी तकलीफें हैं। इन विषयों पर मैं बात करना चाहता हूँ। उसने कहा उससे क्या होगा? मैंने कहा आपके अगर समझ में आया तो तकलीफे दूर करने के लिए आप प्रयास करेंगे, मैं भी प्रयास करुंगा। तो उसने कहा तकलीफ दूर होने से क्या होगा। तो मैंने कहा आपको थोडासा सुख मिलेगा, शांति मिलेगी। तो उसने कहा वो तो अभी-भी हैं मेरे पास सुख और शांति दोनों हैं। आप क्यूँ परेशान हैं, मैं तो अभी-भी सुख और शांति से ही हूँ। परेशान तो आप हैं जो हजारों किलो मीटर चलके आ गए मेरे पास। मुझे तो कोई परेशानी नहीं। यह है भारतीयता। फिर मैंने पुछा आप सच में सुख और शांति में हो। उसने कहा- हाँ। मैंने पुछा यह जो इतनी समस्या हैं गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी इनका क्या? तो उसने कहा अगले जन्म में हल करुंगा। जरुरी हैं, इसी जन्म में करूँ।
- मेरी एक दादी थी। वो अभी स्वर्गवासी हो गयी। वो मुझे रोज यही कहती थी। तु इतना भाग-भाग क्यूँ करता हैं। आज इस गांव में, कल उस गांव में। तो मैंने कहा जल्दी से भारत की समस्या हल होनी चाहिए। तो उसने कहा इसी जन्म में अगले जन्म में हो जाएगी। क्यूँ चिंता करता हैं इतनी। यह जो ब्रेन है ना यह जो माइन्ड सेट है। यह पुर्नजन्म से निकलता हैं। माने पुर्नजन्म में रहने वाले लोग और मानने वाले लोगों को किसी चीज की जल्दी नहीं हैं। इसलिए गौ-हत्या भी अगले जन्म में रुक जाएगी। यही सोचकर हमारे खासदार वहाँ बैठे हैं। उनको जल्दी नहीं हैं। अगले जन्म में हो जाएगी। क्या फरक पड़ता हैं यह तो हमारे मन की स्थिति है।
.. . तो जहाँ सभ्यता का प्रश्न आता हैं ना, वहाँ पर सवाल इस तरह से होते
हैं। तो भारत की सभ्यता दूसरे देशों की सभ्यता से एक मामले में जो अलग है। मूल : यह है कि हम पुर्नजन्म मानते हैं। वो नहीं मानते। अब जरा कल्पना करिए। जैसे ही
आप पुर्नजन्म मानना शुरु करते हैं तो आपकी दुनिया बिलकुल बदल जाती है। क्या होती है। पुर्नजन्म क्या होता है। कब होता है। आत्मा कहाँ प्रवेश करती है। शरीर गौमाता पंचगव्य चिकित्सा