Book Title: Gaumata Panchgavya Chikitsa
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 35
________________ एक दिन के लिये भी. भारत का राजा बन गया होता। एक दिन के लिये। तो कलम की नौक से यह सब काम एक दिन में कर दूं। पहला काम कत्ल खाने बंद करा दूं। दूसरा काम यह वैश्या घर बंद करा दूं। तीसरा काम भारत में शराब बंदी करा दूं। चौथे काम ऐसे लिस्ट बना रखी थी उन्होंने। लेकिन उस लिस्ट में शुरु में यह तीन काम थे। कत्ल खाने बंद करना सबसे पहला। दूसरा वैश्या घर बंद करना। तीसरा यह जो जगह-जगह अंग्रेजों ने शुरु किया था तमाशा, शराब का और जगह-जगह पब्लिकली शराब पीना। और लोगों के सामने उसका डिमॉनस्ट्रेशन करना यह बंद करना। लेकिन दुर्भाग्य इस देश का यह रहा कि गांधीजी की एक भी इच्छा पूरी नहीं हुई। अंग्रेज गये .उन्होंने जो कत्ल खाने खोले थे वो अंग्रेजों के जाने के बाद और बढ़े। अंग्रेज गये उन्होंने जितने वैश्या घर खोले थे इस देश में, अंग्रेजों के जाने के बाद और बढ़े। अंग्रेज गये तो जितनी शराब छोड़कर गये थे। उससे ज्यादा शराब इस देश में बढ़ी। और अंग्रेजों . से ज्यादा बड़ी बेहूदगी तरीके से भारत की सरकार ने शराब को बढ़ावा दिया। गांधीजी की एक भी इच्छा पूरी नहीं हुई हैं। पता नहीं उनकी आत्मा को शांति मिली होगी या नहीं। बहुत लोग कहते हैं कि मरने वाले की आत्मा को शांति तब मिलती है जब उसकी इच्छा पूरी होती है। यहाँ तो एक भी इच्छा पूरी होती हुई नहीं दिखाई देती। लेकिन हर साल इस देश में दो अक्टूबर मनाया जाता है। सरकारी अधिकारी, प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति, राष्ट्रपति से लेकर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, तमाम मंत्री गांधीजी की समाधि पर जाते हैं। कुछ फूल चढ़ाते हैं। टि.व्ही. चैनलों पर उनकी अच्छी-अच्छी बाते सुनते हैं। बापूजी को याद रखना चाहिये। बापूजी के सपनों को कभी भूलना नहीं चाहिये। लेकिन बापूजी के सपनों को जिन्दा करने के लिये कोई कुछ नहीं करता। अभी थोड़े दिन पहले हमने तमाशा देखा इस देश में। महात्मा गांधी के दांडी सत्याग्रह का 75 वां वर्षगाठ मनाया गया। गांधी सत्याग्रह। दांडी सत्याग्रह। दांडी सत्याग्रह का 75 वां वर्षगाठ। 1930 में महात्मा गांधी ने दांडी सत्याग्रह किया था। अंग्रेजों की सरकार के नमक के टॅक्स कानून को वापस कराने के लिये। उस सत्याग्रह में गांधीजी साबरमती आश्रम से निकले थे अपने 78 कार्यकर्ताओं के साथ। और जब समुद्र के किनारे पहुँचे दांडी पर तो एक कोटि से ज्यादा लोग उनके पीछे थे और उन्होंने नमक कानून तोड़ा था। अंग्रेजों की सरकार ने भारत के नमक पर टॅक्स लगा दिया था। इस काले कानून के खिलाफ गांधीजी निकले थे। और संकल्प लेके निकले थे कि जब तक अंग्रेज भारत से नहीं चले जाते मैं साबरमती आश्रम में वापस नहीं आऊँगा। उनकी पत्नी के द्वारा पूछने पर “आप क्या कह रहे हैं। अंग्रेज अभी जाने वाले हैं क्या ?" तो गांधीजी ने बहुत खराब शब्द में कहा कि "मैं कुत्ते की मौत मरना-पसंद गौमाता पंचगव्य चिकित्सा :

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