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की गाय यह काट रहे हैं। और जब यह खबर अंग्रेजों ने फैलाई तो उसके बाद इस देश में हिन्दु-मुसलमानों के दंगे शुरु हो गये। मैं आपको विनम्रता पूर्वक बताना चाहता हूँ कि 1894 के पहले एक भी हिन्दु-मुस्लिम दंगा नहीं हुआ। पहला, हिन्दु-मुसलमान दंगा 1894 में दिसबंर में हुआ। रानी की इस चिट्ठी के बाद और उसके बाद लाईन लग गई दंगों की। फिर क्या हुआ आजादी का प्रश्न पीछे आ गया, गौरक्षा का प्रश्न पीछे आ गया। हिन्दु-मुसलमानों का सांप्रदायिकता का प्रश्न सबसे आगे आ गया। अंग्रेजों . ने लगभग 60-70 साल तक इसी आग को जलाकर रखा। और इसमें समय-समय पर घी डालते रहे। वो कभी-कभी यह दोनों एक ना हो जाए इसके लिए पूरी ताकत लगाकर अपने एजन्टों को भारत की बहुत सारी संस्थाओं में घुसाकर बैठा दिया। ताकि यह समाज एक ना हो जाए। और इस तरह से बरस्तूर गाय कटती रही और हत्या होते-होते करोड़ों की संख्या में पहुँच गयी।
जब अंग्रेज गये 15 अगस्त 1947 को तो भारत के महात्मा गांधी जैसे कुछ क्रांतिवीर जो जीवित थे उन्होंने यह प्रश्न उठाया कि हाँ, अंग्रेज गए हैं जल्दी से गौ-हत्या बंद होनी चाहिए तो गौ-हत्या बंद होने के लिए. भारत की संसद में प्रस्ताव आया। उस प्रस्ताव को लाने वाले एक बहुत अच्छे सांसद थे जिनका नाम था महावीर त्यागी। वो कई बार संसद सदस्य बने थे। माने खासदार बने थे। सोनीपत नाम का एक क्षेत्र हैं हरियाणा में। वहाँ से वो जीतकर आते थे। और किसी राजकीय पक्ष के टिकट पर नहीं अकेले ही जीत कर आते थे। महावीर त्यागी जी के बारे में कहा जाता है की जब वो संसद में खड़े होकर भाषण दिया करते थे तो पंडित जवाहरलाल नेहरु सारे काम छोड़कर उनका भाषण सुना करते थे। क्योंकि वो सरकार की इतनी खिंचाई करते थे तो उसका जवाब कैसे देना है संसद में यह नेहरुजी के लिए मुश्किल हो जाता था। तो नेहरुजी सब काम छोड़कर महावीर त्यागीजी का भाषण सुनते थे। महावीर त्यागीजी ने सबसे पहले याद दिलाया कि देखो अंग्रेज अब चले गए हमारी सरकार आ गयी। अब गौ-हत्या बंद करने के लिए कानून बनाओ। तो संसद में प्रस्ताव आया उस पर बहस हुई। महावीर त्यागीजी ने बहुत बड़ा काम किया कि अंग्रेजों की यह जो राजनीति थी हिन्दु और मुसलमानों को बांटने की गाय के प्रश्न पर। उसके सारे डॉक्यूमेन्टस पार्लियामेंट में उन्होंने डिस्ट्रीब्यूट किए कि देखो असलियत यह है। कोई मुसलमान गाय का ज्यादा मांस नहीं खाता और कोई मुसलमान गाय को कटवाना भी पंसद नहीं करता। यह तो अंग्रेजों की चाल है हमको आपस में लड़ाने की और बर्बाद करने की तो इस चाल को समझकर मुस्लिम खासदारों ने भी समर्थन किया कि हाँ; गौरक्षा होनी चाहिए। विधेयक आने का समय आया। विधेयक के समय पर आप जानते हैं संसद का नियम यह है कि बहस जब.पूरी हो जाती है तो वोट लिया जाता है कौन किसके समर्थन में है। तो इस पर वोट का समय आया। वोट के समय में एक दिन पहले यह.
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-गामाता पचगव्य चिकि
STARRPORN
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