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करूँगा। पक्षिओं की मौत मरना पसंद करुँगा लेकिन साबरमती आश्रम में वापस नहीं आऊँगा, जब तक अंग्रेज भारत से नहीं जाते और वो निकल पडे। दांडी सत्याग्रह सफल हुआ, अंग्रेजों ने नमक का टॅक्स वापस लिया लेकिन देश नहीं छोड़ा। तो गांधीजी साबरमती नहीं गये और पैदल भटकते-भटकते वर्धा आ गये। वर्धा में एक कुटीया बना लिया वही पर एक आश्रम स्थापित कर दिया। सौभाग्य से आज मैं उसी आश्रम में रहता हूँ। (यह भांषाण 2002 में जब हुआ था तब राजीव भाई सेवाग्राम आश्रम में ही रहते थे। )
गांधीजी के सपनों में यह जो सबसे पहला काम था पशुओं का कत्ल रोकना। कारण क्या? उसका गांधीजी को एक बार पुछा गया था कि आप पशुओं को क्यों बचाना चाहते हो! बहुत सुंदर उत्तर दिया कि - ताकि मैं जिन्दा रह सकूँ, इसके लिए पशुओं को बचाना चाहता हूँ। उसके और आगे उन्होंने बोला, उन्होंने कहा कि मैं पशुओं को बचाकर उनके ऊपर कोई एहसान नहीं कर रहा हूँ। मैं मेरे ऊपर एहसान कर रहा हूँ कि ये पशु ज़िन्दा रहेंगे तो मैं जिन्दा रहुँगा। एक बार इसी तरह से उनसे और एक प्रश्न पूछा गया कि आप पशुओं की, जीव दया की, प्रेम की, करुणा की, इतना सब बात क्यूँ करते हैं। तो उन्होंने कहा- सनातनी हिन्दू हूँ इसलिए। किसी ने पूछा आप तो सांप्रदायिकता कर रहे हैं। उन्होंने कहा अगर किसी को कहना है तो कहे। मैं सनातनी हिन्दू हूँ और तीन बार बोला इस बात को कि मैं सनातनी हिन्दू हूँ जो समझना है तो समझे। तो पूछने वाला जानता नहीं था ये सनातनी हिन्दू क्या होता हैं तो गांधी को पूछ लिया कि सनातनी हिन्दू की परिभाषा क्या है तो उन्होंने कहा सनातनी हिन्दू का मतलब होता है जो पुर्नजन्म में विश्वास करता है। मैं पुर्नजन्म में मानता हूँ और इसलिए मैं चाहता हूँ कि पशुओं की रक्षा होनी चाहिए। बात वहीं . पर खत्म हो गई।
मैंने गांधीजी के इस स्टेटमेन्ट पर सोचा कि उन्होंने कहा क्या । इसका मतलब क्या है। कई बार क्या होता है ना बड़े लोग महान लोग बिटवीन द लाईन्स बहुत कुछ कह जाते हैं। इसमें गांधीजी ने बहुत कुछ कह दिया है। पहले तो मेरी समझ में नहीं आता था। यह बात अब समझ में आयी है। गांधीजी ने कहा कि मैं सनातनी हिन्दू हूँ। सनातनी हिन्दू कौन होता है जो पुर्नजन्म को मानता है। इसका माने पूरा भारत वर्ष सनातनी हिन्दू है। क्योंकि सारे भारतवासी पुर्नजन्म को मानते हैं। भारत में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो पुर्नजन्म नहीं मानता हो । मैं हिन्दुस्तान में पुरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण की इतनी यात्रा कर चुका हूँ कि तीन बार भारत की परिक्रमा के बराबर हो और मैंने अलग-अलग धर्मों के लोगों से एक ही प्रश्न कई बार पूछा है। गांधीजी को समझने के लिए । पुर्नजन्म में मानते हो - हाँ मानते तो है लेकिन हमारी
गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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