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गांधी के विचार का क्या हुआ। गांधीजी 30 जनवरी 1948 को चले गये। उनकी हत्या हो गई। उसके बाद क्या हो गया इस देश में। उसके बाद इस देश में यह हो गया कि गांधीजी के मरने के साथ ही उनका विचार भी मार डाला गया। मर नहीं गया, मार डाला गया। गांधीजी को सिर्फ फोटो में जिन्दा रखा है। विचार के स्तर पर उनको संपूर्ण दफन कर दिया गया है। उनका एक भी विचार भारत देश की सरकारों ने पिछले 59 वर्षो में माना नहीं। दो को छोड़कर, एक सरकार थी श्री लाल बहादुर शास्त्री की । और दुसरी थी मोरारजी देसाई की। श्री लाल बहादुर शास्त्री की सरकार ने जरूर गांधीजी के विचार पर निर्धारित योजना बनाई थी और कार्यक्रम भी किये थे। और दूसरे एक प्रध नमंत्री श्री मोरारजी देसाई जिन्होंने गांधीजी से ही दीक्षा ली थी। गांधीजी के ही शिष्य थे। और बाद में संयोग से इस देश के 1977 में प्रधानमंत्री बने थे। वो ऐसे ही बात करते थे। जैसे गांधीजी करते थे। आपको मालूम है मोरारजी देसाई ने गांधीजी से दीक्षा लेने के बाद कसम खायी थी कि मैं कभी भारत में किसी ऐसे कॉन्सीटयुशनल पोस्ट पर आया तो आपकी इच्छा के अनुरूप सबसे पहले शराब बंदी करूँगा । और आप जानते हैं, श्री मोरारजी देसाई ने गुजरात में संपुर्ण शराब बंदी लागू करायी थी । उनका दूसरा कदम था कि भारत में शराब बंदी होनी चाहिये। लेकिन वह हो पाता तब तक उनकी सरकार गिरा दी गयी। लेकिन उन्होंने एक कदम उठाया। गुजरात में शराब बंदी कराई
आज तक लागू है और उस शराब बंदी के प्रश्नों पर बहुत सारे राज्यों में समय-समय पर आंदोलन हुये हैं। और उन्होंने समय-समय पर कई बार सफलतायें पाई हैं। आंध प्रदेश में हुआ। हरियाणा में हुआ। महाराष्ट्र में, विदर्भ में बहुत हुआ । अनेक-अनेक बार अनेक-अनेक जगह हुआ।
दूसरा गांधीजी के विचारों पर आधारित श्री मोरारजी देसाई ने एक काम और किया। गांधीजी कहते थे कि भारत को स्वदेशी - स्वावलंबन के रास्ते पर बढ़ना चाहिये । मोरारजी देसाई पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने विदेशी कंपनियों पर सबसे पहले पाबंदी लगाई। उन्होंने कहा- हमें विदेशी कंपनियां नहीं चाहिये। आप को याद होगा कोका कोला पर पाबंदी लगाने वाले भारत के पहले और आखरी प्रधानमंत्री थे। 1977 में कोका कोला को नोटिस देकर हिन्दुस्तान से भगाने वाले वो पहले और आखिरी प्रधानमंत्री थे। क्योंकि उनके बाद किसी प्रधानमंत्री में हिंमत नहीं हुई । जो कोका कोला को इस देश से भगा सके। बाकी प्रधानमंत्रियों ने दरवाजा खोलकर उसे बुलाया जरुर। लेकिन मोरारजी देसाई ने भगाया। ऐसे ही एक प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री, जो प्रधानमंत्री बनते ही गांधीजी की एक नीति का अनुसरण कर के इस देश में बहुत बड़ा उन्होंने क्रांतिकारी कदम उठा लिया। जब शास्त्रीजी प्रधानमंत्री बने थे। तो भारत देश में अमरीका से गेहूँ आयात होता था । लाल रंग का बहुत ही घटिया क्वालिटी का गेहूँ भारतवासी खाते थे। अमरीका के साथ भारत सरकार ने एक समझौता किया था।
गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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