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तो उनकी पूरी आजीविका गाय के दूध और गाय के घी की बिक्री पर चलती है। तो राट जाती के मुसलमानों के लिये गाय उनकी आर्थिक जीविका का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है। इसलिए राट जाति के मुसलमान 1870 के साल में गाय को बचाने के आंदोलन में लड़ रहे हैं। ऐसे ही आप चले जाईये राजस्थान में एक दूसरी मुसलमाना की जाति है। उसको कहते है "मेव"। जो मेव जाति के मुसलमान हैं। राजस्थान और हरियाणा का एक इलाका ही कहलाता हैं। जिसका नाम है "मेवात"। तो मेवात वो इलाका हैं। जिसमें मेव जाति के मुसलमान रहते हैं। मेव जाति के मुसलमान भी गाय को बचाने के आंदोलन में 1870 के साल से शामिल हैं। राट जाति के मुसलमान भी गाय को बचाने के आंदोलन में 1870 के साल से शामिल हैं। माने क्या हैं। गाय को बचाना सिर्फ हिन्दुओं का काम नहीं। गाय को बचाने के लिये मुसलमान भी लड़ रहे हैं। और उस जमाने के बड़े-बड़े मुसलमानों के जो मौलवी हैं। वो सब कह रहे हैं कि गाय बचेगी तो हम बचेगें। माने वो उनकी आर्थिक जीविका का साधन हैं। कुछ मुसलमान हैं जो गाय का दूध बेचकर अपनी जीविका चलाते हैं। कुछ मुसलमान है जो गाय का घी बेचकर अपनी जीविका चलाते हैं। कुछ मुसलमान है जो गाय दूध से बनने वाली मिठाईयां बेचकर अपनी जीविका चलाते हैं।
हिन्दुस्तान की दूसरी तमाम जातीयाँ लड़ रही हैं गाय को बचाने के लिये। यह अंग्रेजों की रिपोर्ट में लेन्स डाऊन ने लिखवाया और वो रिपोर्ट ब्रिटिश पार्लियामेंट में पहुंची। तो रानी व्हिक्टोरिया ने उस पर एक टिप्पणी की, 8 डिसंबर 1893 को व्हिक्टोरिया ने एक चिट्ठी लिखी लेन्स डाऊन को। वो चिट्ठी का पहला पैराग्राफ क्या हैं। व्हिक्टोरिया लिख रही है कि हिन्दुस्तान में गाय का कत्ल बंद नहीं होना चाहिये।
और हिन्दुस्तान में गाय के कत्ल के बहाने हिन्दु और मुसलमानों के बीच में एक दरार पैदा करनी चाहिये। अंग्रेजों की हमेशा से नीति रही है। बाँटो और राज करो (डिवाईड एंड रुल) तो अंग्रेजों की वो जो नीति है 'बाँटो और राज करो' की उस नीति के तहत व्हिक्टोरिया चिट्ठी लिख रही है लेन्स डाऊन को कि मुसलमानों को इस बात के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये कि वो गाय का कत्ल करें। क्यों? अगर हिन्दुआ का यह पता चलेगा कि मुसलमान गाय का कत्ल कर रहे हैं तों हिन्दु और मुसलमाना क बीच झगड़े शुरु हो जायेंगे। और हिन्दु और मुसलमानों के बीच झगड़े शुरु हो जायेंगे तो अंग्रेजों की सरकार टिकेगी और उसको राज्य करने से कोई रोक नहीं सकता।
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- तो एक जमाने में 1870 से 1893 तक जो मुसलमान हिन्दुस्तान की गाय को बचाने के आंदोलन में लगे हुये हैं। फिर अंग्रेजों की नीतियों के कारण मुसलमानों को गाय का कत्ल करने के लिये प्रोत्साहित किया जाये। यह रानी की चिट्ठी हैं। लेन्स डाऊन के लिये और वो चिट्ठी हम लोगों के पास हैं। इसके आधार पर मैं यह कह रहा गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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