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हूँ। अंग्रेजों ने हिन्दु और मुसलमानों के बीच में झगड़ा कराने के लिये, हिन्दु और मुसलमानों के बीच में दरार पैदा करने के लिये मुसलमानों को गाय काटने के लिये प्रेरित किया और वो कैसे किया। उसकी नीति भी जानिये। लेन्स डाऊन को जब रानी की चिट्ठी मिली। तो लेन्स डाऊन ने एक नीति बनाई। नीति क्या बनाई? लेन्स डाऊन ने यह फैसला किया कि अंग्रेजों के चलाये गये जितने कत्ल कारखाने हैं उन कत्ल कारखानों में नौकरी सिर्फ मुसलमानों को दी जायेगी। ताकि पूरे हिन्दुस्तान में इस बात का प्रचार किया जाए कि हर कत्ल कारखाने में देखिये गाय काटने का काम मुसलमान कर रहे हैं। तो अंग्रेजों ने बकायदा यह नीति बनाई। और उस नीति के तहत अंग्रेजों के हर तरह के बनाये गये कत्ल कारखानो में मुसलमानों को नोकरी देने का काम शुरु किया। मुसलमानों को रिजर्वेशन के आधार पर कत्ल कारखानों में नोकरी दी गयी। जब मुसलमानों ने कत्ल कारखानों में नौकरी करने का काम शुरु कर दिया। काफी मुसलमानों को अंग्रेजों ने जबरदस्ती मारकर पीटकर गाय का कत्ल करवाने के लिये तैयार किया। सामान्य रुप से कोई मुसलमान उसके लिये तैयार नहीं था।
उस जमाने में जब मुसलमान गाय का कत्ल करवाने के लिये तैयार नहीं थे। तो अंग्रेजों की सरकार ने मुसलमानों को मारना, पीटना, उनको धमकाना, उनको तरह-तरह के लालच देने का काम शुरु करवा दिया। और धीरे-धीरे अंग्रेजों ने सारे देश में यह प्रचार करवाना शुरु कर दिया। देखिये, गाय हम नहीं काटते। मुसलमान काटते हैं।
. और सच्चाई यह है कि रानी ने चिट्ठी में लिखा था कि मुसलमान गाय काटेंगे जरुर लेकिन वो हमारे लिये काटेंगे। हमारी फौज के लिये काटेंगे। अंग्रेजो को गाय का मांस चाहिये। तो मुसलमान, गाय काटेंगे हमारे लिये और हिन्दुस्तान की जनता को दिखाई देगा कि गाय कट रही है मुसलमानों के द्वारा। इसमें जो मूल व्यक्ति हैं गाय को कटवाने वाला, वो मूल अंग्रेज है। गाय को कटवाने वाला उनका चेहरा लोगों को दिखाई नहीं देगा। और यह नीति पूरे हिन्दुस्तान में अंग्रेजों ने. लागू की। इस नीति की सफलता हुई। सफलता क्या हुई? कि हिन्दुस्तान में जगह-जगह हिन्दु-मुसलमानों के दंगे शुरु हो गये। अंग्रेजों ने अपने आप को बचा लिया। और हिन्दु-मुसलमानों के बीच में उन्होंने भेद पैदा कर दिया। गाय का कत्ल करवा के और इस तरह से हिन्दुस्तान में अंग्रेजों की बनाई गयी वो नीति चालू होती गयी।
आजादी मिलने के शुरु के दौर में क्या हुआ कि हिन्दुस्तान के बहुत सारे नेता थे जो गाय बचाने के प्रश्न पर सबसे ज्यादा चिंतित थे। उनमें से पौड़त मदन मोहन मालवीय। मानो मदन मोहन मालवीय के पूरे आंदोलन के केन्द्र में गाय हुआ करती थी। स्वामी दयानंद सरस्वती के पूरे केन्द्र में गाय हुआ करती थी। महात्मा गांधी ने तो उस बात को कई बार कहा। गांधीजी ने जब अपना आंदोलन शुरु किया। उस गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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