Book Title: Devasia Raia Padikkamana Suttam
Author(s): Jayantvijay
Publisher: Akhil Bharatiya Rajendra Jain Navyuvak Parishad

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ' चित्रपरिचय चित्र-१, नमस्कार मंत्र ___नमस्कार महामंत्र की आराधना के लिये ध्यान करना परम आवश्यक है और उस में मंत्राधिराज का ही चित्र स्वस्थिति में स्थिर होने के लिये प्रबल सहायक होता है । अनादि परम्परा से प्राप्त नमस्कार मन्त्र को इस चित्र में मूल लिखने के साथ इस के प्रत्येक पद को चित्र में भावपूर्वक खींचा गया है। क्रमशः एक एक पद का ध्यान करते हुए अष्टदलकमल में महामन्त्र को अधिष्ठित कर हृदय कमल की भी इसी प्रकार कल्पना करना चाहिये । चित्र-२, वंदन कैसे ? जिनशासन में वन्दन की बहुत ही महत्ता वर्णित की गई है, किन्तु वह शास्त्रज्ञानुसार विधिवत् किया जाय तब ही अधिक लाभदायक होता है। 'इच्छामि खमासमणो' आदि वाक्य बोलते समय किस प्रकार खडे रहना और 'मत्थएण वंदामि' बोलते समय कैसी मुद्रा होना चाहिये यह चित्र नं. २ से ज्ञात होता है। चित्र-३, कायोत्सर्ग की मुद्राएँ आत्मशुद्धि के प्रत्येक उपाय में कायोत्सर्ग का स्थान सर्वश्रेष्ठ है, क्याकि उससे आत्मा के दूषणां का शोधन होता For Private And Personal Use Only

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