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दूसरी अन्य बातें जिनका सम्बन्ध प्रजा के कल्याण से रहता था, वे भी प्राचार्य की । आज्ञा लेकर की जाती थी। प्राचार्य हेमचन्द्र और उस युग के अन्य स्याति प्राप्त व्यक्तित्व
सिद्धराज जयसिंह और कुमारपाल से दो पराक्रमी राजानो से घनिष्टतम रूप से सम्बन्धित होने के अतिरिक्त हेमचन्द्र उस युग के अन्य प्रसिद्ध लोगो से भी अच्छी तरह परिचित थे । ऐसे लोगो मे बुद्धिमान मत्री उदयन और उमके पुत्र वाहड तथा पाभड आदि इनसे निकटतम रूप से सम्बन्धित थे। जैन धर्म के विद्वानो के अतिरिक्त वे अन्य धर्म के मानने वाले विद्वानो से भी अच्छी तरह परिचित थे। भागवत धर्म के प्रसिद्ध विद्वान् देववोध के वे बहुत बडे प्रशसक थे । देवबोध और श्रीपाल मे मैत्री कराने मे इन्होने बहुत बडी महायता की । हम पहले इस बात का उल्लेख कर चुके हैं कि प्राचार्य हेमचन्द्र के समय का गुजरात विद्वानो से भरा हुग्रा था। आये दिन विद्वानो मे विवाद होते रहते थे। प्राचार्य हेमचन्द्र भी इन विवादो मे सम्मिलित होते थे परन्तु अपने प्रभाव के कारण इनकी कभी किसी से कटुता नही हुई । केवल "श्रामिग" नाम के विद्वान्, एक ऐसे व्यक्ति थे जिनसे हेमचन्द्र के सम्बन्ध अच्छे नही बताये जाते । इनके कई शिष्य' भी थे।
प्रभावक चरित के अनुसार प्राचार्य हेमचन्द्र की मृत्यु 84 वर्ष की परिपक्व अवस्था मे वि स 1229 (1173) मे हुई थी । कुमारपाल की मृत्यु इनकी मृत्यु के छ महीने बाद 1174 ई मे हुई थी। प्राचार्य की मृत्यु से कुमारपाल को बहुत वहा धक्का लगा । प्राचार्य हेमचन्द्र की रचनाएं
"प्राचार्य हेमचन्द्र का व्यक्तित्व बहुमुखी था । ये एक साथ ही महान् सन्त, शास्त्रीय विद्वान्, वैयाकरण, दार्शनिक, काव्यकार, योग्य लेखक और लोक चरित्र के अमर सूधारक थे । जैन धर्म परम्परा इन्हे एक अवतारी पुरुष के रूप मे मानकर
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Hemchandra had a group of Disciple who were very learned and who helped him in his work of these Ramchandra (रामचन्द्र) deserves special mention He is reputed to be the author of hundred Prabandhas that is composition Some of his plays are published, they are good as literature and show considerable skill 10 the technique af play writing His Natya Darpana (नाट्यदर्पण) a work of Dramaturgy has been published .. His kumarviharsatak (कुमारविहारशतक) is a fine description."
-Introduction to Kavyanusasan. pp CCXIC & CCXC