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[ 79 एक म्यान' पर नवविवाहिता बबधू की मगिया उसे प्रयम मिलन के समय प्रिय को यष्टि में देखने को शिक्षा देती।
किन निनो प्रतिरिक्त सयोगा गार के अन्तर्गत प्राने वाली अन्य बानीवनन. गनिमार तया विविध ग्रीडायो प्रादि का वर्णन भी 'रयणावली'
गारपरक पीया है। नायका और नायिका को मकेत स्थल तक ले जाने का पुनीत गा निया ही पारती पायी है। इस दृष्टि में भी कुछ उदाहरण देखने गोगा। एकीका स्थान पर नायक के उपस्थित होने की बात प्रेमिका को बतानी पानी
पानमा प्रालागमन बाहिगिरिगरिन । पाणिगाजाशि तह मारणे प्रविमा गो गुणगी ।।1161149
"प्रो गौर बिन्यो प्रादि से यन भाडियो, जल रहित नदियो और पर्वतीय शून जगल में या तिथंक गुरति का ज्ञाता नायक तेरे लिए घूम रहा है।" एक प्रन्य दती सामाधिपति के पुत्र की योर ने नायिका को सकेत स्थल पर जाने के लिए तमा उसने प्रेम करने के लिए समझाती ह कहती है
गुटियानो फुच्या गुट गए भमर तुम अणुरत्तो । कु दयपट्टान पिच णेच्चमि ज कुफ्फुडा सि त पुत्ति ।।2140137
"क्क पर अनुरक्त ग्रामाधिपति का पुन एक लता गृह से दूसरे लतागृह मे घूम रहा है। प्रत्यन्त कृश उमे चर्मकार की भाति मानती हई जो नही देख रही हो तो हे पुत्री | क्या उन्मत्त हो गई हो।' इसी प्रकार प्रिय मिलन के हेतु धार्मिक अनुष्ठान मारती हुई एक नायिका को सकेत स्थल का सकेत देती हुई दूती वताती है कि वह नायक भी उससे मिलन हेतु सप्तच्छदपुष्प के नीचे मृगचर्म डाल कर अनुप्ठान कर रहा है। अर्थात् नायिका को मप्तच्छदपुप्प के वृक्ष के पास जाना चाहिए।
एक दूती नायक के प्रति नायिका के प्रगाढ प्रेम का चित्रण करती हुई उससे (नायक से) कहती है
हिस्सक कामसरणिक्खया इमा सिविरिणए तुम दठ्ठ । रिणम्मसुअ-रिणव्वित्ता णिन्मुग्ग मणोरहा होइ ।। 3133132
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दे० ना० मा० ।। 8165158 वही, 3121125