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[ 303 मे यह कहा जा सकता है कि देशीनाममाला की शब्दावली के सकलन का आधार पूर्णतया लोकव्यवहार में प्रयुक्त शब्दो का अर्थ है । इसी दृष्टि से इसका अध्ययन भी किया जाना चाहिए। देशीनाममाला के शब्द अनादिकाल से सामान्य जनजीवन की भाषा में व्यवहन होने वाली शब्दावली के अश है । इनका साहित्यिक भाषाओ से प्राय दूर का ही सम्बन्ध रहा है । इनका ज्ञान पूर्णतया लोकज्ञान पर आधारित है । हेमचन्द्र इसी तथ्य की ओर 'लोकतोऽवगन्तव्य ' कहकर सकेत देते है। इनकी व्युत्पत्ति दूहना एक दुम्म्ह ही नहीं असम्भव सा कार्य है, फिर भी इनकी व्युत्पत्ति की जितनी की सभावनाए हो सकती हैं, सभी की और सकेत कर दिया गया है। देशीनाममाला की अधिकाण शब्दावली वातावरण की दृष्टि से ग्रामीण है । आज भी ग्रामीण भापायो में इसकी शब्दावली का व्यवहार पर्याप्त मात्रा में मिलता है। ये शब्द सतत वर्तमान रहने वाली उन जनभापायो के अश हैं जो समय-समय पर सदैव साहित्यिक मापात्रो को शब्द-सम्पत्ति प्रदान करती रही है ।