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[ 163 पूर्वक विचार किया है। उनका मत है कि उत्तर भारतीय भाषाए सीथियन और द्रविड भापायो से प्रभावित हैं। संस्कृत मे अनेको शब्द ऐसे पाये जाते हैं जो निश्चित रूप से द्रविड और सीथियन भाषामो के शब्द हैं । अपने इस सिद्धान्त की पुष्टि मे वे तर्क देते हैं कि उत्तर भारतीय भाषाम्रो के बोलचाल के शब्दो की व्याकरगिक मरचना प्रारम्भ से लेकर अब तक सीथियन प्रभाव से ग्रस्त है। इसमे जो परिवर्तन हुए भी तो तब हुए जब पार्यो की विजय के बाद भाषाओं पर संस्कृत का प्रभुत्व छाता गया। लेकिन यह परिवर्तन शब्दो तक ही सीमित रहा । बोलचाल की भाषा के स्वरूप और उसके व्याकरण पर सस्कृत का विशेष प्रभाव न पड सका। पार० काल्डवेल के दल उत्तरी भारत की बोल चाल की भापामो पर ही द्रविड भापायो का प्रभाव नही देखते, उन्होने साहित्यक सस्कृत मे भी अनेको द्रविड शब्दो का उल्लेख किया है। । उन्होने कई शब्दो और घातुनो की एक तालिका देकर यह सिद्ध किया है कि ये शब्द निश्चित ही सस्कृत मे द्रविड भापामो से पाये हैं। परन्तु काल्डवेल का यह कहना कि ये सभी शब्द और धातुए द्रविड भापात्रो की है एक खुला प्रश्न है। इसके विपरीत जब तक प्राचीन सस्वत के लोतो को खोज कर यह निश्चित नही हो जाता कि ये तत्व आर्येतर हैं कुछ कहा नहीं जा सकता । ये तत्व, हो सकता है सस्कृत से ही द्रविड भापायो ने ग्रहण किया हो ।
पार० काल्डवेल की इस स्थापना का खण्डन जान वीम्स ने अपने केम्पेरेटिव ग्रामर आफ मार्डन आर्यन लेंग्वेजेज' (1872) मे किया है। बीम्स का कहना है कि काल्डवेल' और उनके शिष्यो की यह स्थापना कि भारतीय आर्य भाषाए द्रविड प्रभाव से ग्रस्त है, भौगोलिक, ऐतिहासिक तथा भापा वैज्ञानिक तीनो ही दृष्टियो से ठीक नहीं है । यदि भौगोलिक दृष्टि से देखा जाये तो प्रार्य और द्रविड की जातियो के बीच में मुण्डा जाति की स्थिति है। प्रत पार्यों का प्रथम सम्पर्क और उन पर प्रभाव मुण्डा जाति का पडना चाहिए न कि द्रविड जाति का, जो कि उनसे काफी दूर थी। जहा तक ऐतिहासिक दृष्टि का सम्बन्ध है सबसे पहले यह निश्चय करना होगा कि आर्यों और द्रविडो का सम्पर्क किस समय हुआ । क्या यह सपर्क वैदिक युग मे हुआ था ? या बहुत आगे चलकर मुसलमानो की विजय के बाद ? यदि यह सम्पर्क वैदिक युग मे हा था तो इसकी परम्परा मे विकसित पालि, जैनो के धार्मिक साहित्य की भापा तथा अशोक के अभिलेखो आदि की भाषा सयोगात्मक क्यो रह
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आर फाल्डवेल 'कम्पेरेटिव ग्रामर आफ द्रवीडियन लेंग्वेजेज' (लागमेन्स, लदन,) पृ. 44 भूमिका । 18561 जे बीम्स 'कम्परेटिव ग्रामर आफ माहर्न आर्यन लेंग्वेजेज, प. 29
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