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नोकर, नाव, नोप, अल्पप्राग्ग निरनुनामिक स्पर्ण वर्ण है । देशीनारा 'a' में पाकरने वाले कुल 68 शब्द है। इनमें अधिकतर शब्दो का पान
ने पति में ही तद्भव शब्द ऐसे हैं जिनमे व 'व' मानोराम भा. मा में 'ब' पीर व एक दूमरे मे परिवर्तित रविनी काटी गतिमान्य है। प्राच्य प्रदेशो मे 'व' को 'व' उच्चामाने तोकितिको विपरीत पस्चिमी पत्र में वकार बहुलता है । -
सोपान पनिम जना ने ही है । यही कारण है कि जहा में माना जा 357, की 'ब' से प्रारम्भ होने वाले शब्दो की सत्या पाचन 6 पोरन भी पाईको 'ब' प्रा मा श्रा, 'व' म्यानीय है । कावा -गानो लर, (6-90), यागो-नुभग (6-97),
जोडी मागित (6-96), बौदर-पृथु (6-96)। पा. का 'पा 274- -गाट गा पितावप्र (6-88), बोक्रूडो-छाग वर्कर
, -272-२मार मानहाय मरना जिनमें 'द' प्रौर दोनो ही बिजुद देण्य प्रकृति के है । --कोटिन (1-16), प्र यून गरग (1-11), उबर-बहु (1.90) --अनुगिनोग्यानिकानप्राप्ति (1-42), उच्चुवक-प्रलपितम् (1-128), उन्यूगेम (1-126) ! उपान्त में 'ब' का प्रयोग पर्याप्नमाया मे है जबकि 'ब' का प्रयोग प्रत्यल्प है। च-- मानव-भूमिकाम् (1-64), उ ब-बन्धनम् (1-86), उ वी-पपवगोधूम
(186) -पिम जनम् (6-46)
यह प्रोप्ल्य, नाद, घोप, महाप्राण, निरनुनासिक महाप्राण ध्वनि है । 'दशीनाममा मेम' से प्रारम्भ होने वाले शब्दो की सख्या 65 है । प्राकृत भाषाओं में 'म' को प्राय 'ह' हो गया है, परन्तु देशीनाममाला के शब्दो मे सभी स्थितियो 1 प्राप्त काल में प को प (पौर्य प्रा प्र 2-15) उच्चारण करने की प्रवृत्ति के कारण 'क'
यो '८' उच्चारण करने को प्रयत्ति को अधिक बल मिला होगा । 2 उपान्त में 'ध' के माम उदाहरण मिलने का प्रमुख कारण है 'ब' या 'ब' रूप में व्यवहार
फिया जाना है।