________________
[ 165 "देशीनाममाला" मे आये हुए देशी शब्दो मे लगभग 800 शब्द आयेतर मापायो विशेषत द्रविड भाषाओं से आये हुए बताये गये हैं। रामानुजन् ने देशीनाममाला" के अन्त मे दिये गये शब्द कोश मे द्रविड भाषामो से मिलते जुलते देशी शब्दो की अोर सकेत कर दिया है। इसी प्रकार ए एन उपाध्ये ' महोदय ने कुछ देशी शब्दो की तुलना कन्नड भाषा के शब्दो से की है। इन अध्ययनों का यह अर्थ बिल्कुल ही नहीं है कि ये शब्द तमिल, तेलगु या कन्नड या इसी तरह की अन्य आर्येतर भापानो से लिये गये है। इन भाषायो मे प्रचलित ये शब्द ही हो सकता है आर्य भाषा-भापियो से आर्येतर भाषा-भापियो ने ग्रहण किये हो । उसके विपरीत यदि इन “देशी" शब्दो को आधुनिक भिन्न-भिन्न प्रान्तो मे वोली जाने वाली प्रार्य भापाग्यो की वोलियो मे टू ढा जाये तो ये ज्यो के त्यो वहा उसी अर्थ मे थोडे रूप परिवर्तन के साथ मिल जाते है । इन शब्दो की वास्तविक स्थिति प्रो० विल्सन के निम्न कथन से स्पष्ट हो जाती है -
____ "A Portion of a primiturve, unpolished and seanty speech. the relies of a period prior of civilization, has been calculated amount to one tenth of the whole"?
इस प्रकार प्रो० विल्सन के अनुसार साहित्यिक भाषायो मे प्रचलित शब्दो का लगभग 1-10 भाग बहत प्राचीनकाल से प्रादिम अवस्था के निवासियो मे प्रचलित ऊबड़-खाबड तथा कर्णकटु बोलचाल की भाषा का अवशेष है । समय समय पर माहित्यिक भाषानो मे इन अवशेषो का परिष्कार होता रहा है । ऐसे शब्दो का स्रोत कोई भी साहित्यिक भाषा नही हो सकती। लोक मे प्रचलित परम्परानो, रीति-रिवाजो तथा सदियो से चली आ रही सामाजिक मान्यताप्रो से इन शब्दो को सदभित किया जा सकता है। देशीनाममाला मे प्राप्त होने वाले विशुद्ध "देशी" शब्दो मे विकाश शब्द 'मराठी भाषा की बोलियो से सर्भित किये गये है। इसी प्रकार यदि अन्य प्रान्तीय भाषायो की बोलियो मे इन शब्दो को खोजा जाये तो अत्यन्त सुगमतापूर्वक प्राप्त हो जायेंगे। एक बात यहा और भी ध्यान देने की है । प्राचार्य हेमचन्द्र ने अपने देशीकोश का सकलन करते समय प्राकृत की साहित्यिक रचनायो के अतिरिक्त भिन्न-भिन्न प्रान्तीय बोलियो के आकडो को अवश्य
-
1 AN Upaddhye' (cannaries words in Desı laxieons" A BO.
I R. V XII 2 आर काल्डवेल 'कम्पेरेटिव ग्रामर ऑफ द्वीडियन लैंग्वेजेज' पृ 53 से उद्धृत । 3 पी एल वैद्य, आन्जर्वेशन्स आन देशीनाममाला एनल्स आफ भण्डारकर ओरियण्टल
रिसर्च इन्स्टीट्यूट खण्ड 8 पृ 63-71 ।