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[ 57 सिद्ध हो सकता है । अनादिकाल से प्रचलित लौकिक रीति-रिवाजो को प्रदर्शित करने वाले कितने ही शब्द यत्र-तत्र इम कोश मे बिखरे पडे हैं । ये शब्द केवल आर्यों की ही प्राचीन परम्परा का द्योतन करने वाले न होकर प्रार्येतर, कोल, सथाल, मुण्डा तथा द्रविड जाति के लोक व्यवहार को प्रदर्शित करने में समर्थ है । अाजकल सामान्य जन-जीवन के बीच कितने ही ऐसे शब्द विखरे पडे है जिन्हे इस कोश मे सचित शब्दो से मदर्भिन किया जा सकता है । इस विषय की विस्तृत चर्चा प्रस्तुत प्रवन्ध के एक अलग अध्याय मे विस्तार में की जायेगी। स्वरूप
'देशीनाममाला' का मूलपाठ अपभ्र श के गाथा छन्द मे लिखा गया है। इन गाथागो मे हेमचन्द्र ने 'देशी' शब्दो की गणना कराने के साथ ही उनका पर्यायवाची 'तद्भव' शब्द भी दे दिया है। इन गाथानो पर उन्होने टीका भी लिखी है। यह मस्कृत मे है । इसके अन्तर्गत उन्होने प्रत्येक 'देशी' शब्द का समानार्थी सस्कृत शब्द देने के साथ ही उस शब्द को 'देशी' मानने के पक्ष मे तर्क भी दिया है । सस्कृत टीका मे वे अपने और अपने से पहले के प्राचार्यों के मतो का उल्लेख करते हुए शब्द के रूप और उसकी देसी सज्ञा के प्रौचित्य को विस्तारपूर्वक स्पष्ट कर देते हैं। मूलगाथाम्रो की सस्कृत टीका लिखने के अतिरिक्त प्राचार्य हेमचन्द्र ने 'देशी' शब्दो को और भी स्पष्ट करने के लिये, इन्ही शब्दो को लेकर, उदाहरण की गाथाम्रो की रचना की । प्रत्येक गाथा के बाद उसकी सस्कृत टीका और टीका के बाद इन शब्दो के उदाहरण के रूप मे गाथाए यही देशीनाममाला का मूल स्वरूप है । इनमे एक-एक को लेकर उनका विस्तृत विवेचन करना समीचन होगा। देशीनाममाला की गाथाएं
'देशीनाममाला' कुल 8 वर्गों मे विभाजित है । इन आठ वर्गों मे कुल 783 गाथाए हैं। इसका वर्ग विभाजन स्वरादि क्रम से है अर्थात् प्रथम वर्ग मे ऐसे शब्दो का सकलन है जो स्वरो अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ओ से शुरू होते हैं । वर्ग के प्रारम्भ मे द्व यक्षर शब्द उसके वादत्र्यक्षर, चतुरक्षर, पचाक्षर और इसी तरह क्रम से कही कही पाठ अक्षरो तक के शव्द सकलित है । इनका निर्देश हेमचन्द्र स्वय ही 'अथ' द यक्षरा - त्र्यक्षरा इत्यादि कहकर कर देते है । एकार्थक और अनेकार्थक शब्दो का निर्देश भी वे करते चलते हैं ।
स्वरूप की दृष्टि से देशीनाममाला' के तीन विभाग किये जा सकते हैं-(1) मूलपाठ, इसमे गाथाए आती हैं जो देशी शब्दो और उनके पर्याय तद्भव शब्दो का प्रत्याख्यान करती है। (2) टोका भाग यह सस्कृत मे है । (3) उदाहरण ।