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चतुर्थस्तुतिनिर्णयः। मारमें यह पुस्तक हमारे हस्तगत न जया ? तो क्या यह वंदनापश्ना श्रीनवादु स्वामीने रचा है ? किं वा नबाबु स्वामीजीके नामसे किस तीन युश मानने वाले मतपतीने रच दीया है? जेकर श्रीन बाहु स्वामीका रचा सिम होवे तोनी इस पश्नमें चौथी शुश्का निषेध नही है, और जो इस पश्नमें तीन घुसें चैत्यवंदना करनी कही है, सो पूर्व कहे ला नव नेदोमेंसें बहा मध्यमोत्कृष्टनेदकी तीन धुसें चैत्यवंदना करनी कही है, यह चैत्यवंदना श्रीजिनमें दिरमें करनी कही है परंतु प्रतिक्रमणकी आद्यंतमें चैत्य वंदना करनी नही कही है. इस वास्ते इसपश्नेसें जो तेरेको त्रांति होती है सो बोड दे॥इति पश्ना निर्णयः॥
पूर्वपदः-देवसिप्रतिक्रमणकी आदिमें और राइ अतिक्रमणके अंतमें चैत्यवंदना करनी किसी शास्त्रमें नी नही कही है, तो फेर तुम क्यों करते हो? ॥१॥ और चौथी थुइ चैत्यवंदनामें करते हो, सो किस किस शास्त्रमें है॥॥ अरु श्रुत देवताका कायोत्सर्ग किस किस शास्त्रमें करना कहा है? ॥३॥ , उत्तरपदः-हम इन तीनो प्रश्नोका एक साथही उत्तर देते है। श्रीप्रवचनसारोबारे ॥ पडिक्कमणे चे
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