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चतुर्थ स्तुति निर्णयः ।
तिनकी श्रद्धाकुं फिरायके उनोका मनुष्यनव बिगाड नेकी इच्छा रखते है. ?
अहो नव्यजीवो हम तुमसें सत्य कहते हैं कि जे कर तुम नाष्यकार, चूर्ध्निकारादि हजारों पूर्वाचार्यैके माने हुए चार थुश्के मतकों तथापोगे तो निश्वयसें दीर्घ संसारी और नगति गामी होवेंगे. जेकर र नविजयजीके चलाए तीन थुइके पंथकों न मानोगे और पूर्वाचार्योंके मतकों श्रोगे, तिनके कहे मुजब चलोगे तो निवेंही तुमारा कल्याण होवेगा इसमें कु बनी क्वचित् मात्र संशय जानना नहीं. किंबहुना
तथा धर्मसंग्रह ग्रंथ में देवसि पडिक्कमकी विधि का पैसा पाठ लिखा है सो यहां लिखते हैं | पूर्वा चार्य प्रणीताः गायाः ॥ पंचविहायार विसुद्धि, देव मिह साहु सावगो वावि ॥ पडिक्कमणं सह गुरुणा, गु रुविरहे कुrs को वि ॥ १ ॥ वंदित्तु चेश्याई, दानं च तराइ ए खमासमणे || नूनि दिय सिरोसयला, इखारे मिठा डुक्कडं देइ ॥ २ ॥ सामाइ पुत्र मिठामि, गवं कासग्गमिच्चाइ || सुत्तं नणिय पलंबिय, उय कु प्पर धरि पहिरा ॥ ३ ॥ घोडगमाई दोसे हिं, वि रहि तो करइ उस्सगं ॥ नाहिहोता हूं, चनरंगुल
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