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चतुर्थ स्तुति निर्णयः ।
स्तव पढे, पीछे स्तोत्र पढे, पीछे याचार्यादि वांदी, प्रायश्चित्ती शुद्धि वास्ते चार लोगस्सका कायोत्स गर्ग करे, तद पीठें लोगस्स कहे. इति देवसि पडिक्क मोकी विधि संपूर्ण ||
इस विधि में पक्किम की खादिमें चार थुइसे चै त्यवंदन करनी कही है. और श्रुतदेवता अरु क्षेत्र देवताका कायोत्सर्ग अरु इन दोनोकी थुइ कहनी कही है. इस लेखकों सम्यक्त्व धारी मानतें है. और मानतेथे, फेर मानेंगेनी परंतु मिथ्यादृष्टितो कनी नही मानेगा इस वास्ते सम्यकदृष्टि जीवकों तीन थुइका कदाग्रह अवश्य बोड देना योग्य है.
तथा धर्मसंग्रह ग्रंथ में चैत्यवंदनाके नेद कहे है सो पाठ यहां लिखते है ॥ सा च जघन्यादि नेदा त्रिधा यद्भाष्यं नमुक्कारेण जहन्ना चिश्वंदण मवदंम थुइ जुना ॥ पदं थुई चक्कग, यय पणिहाणे हिं नक्कोसा ॥ १ ॥ व्याख्या || नमस्कारेगांज निबंध शि रोनमनादिलक्षणप्रणाममात्रेण या नमो अरि हंताणमित्यादिना अथवैकयश्लोकादिरूपे नम स्कार पाठपूर्वकनम स्क्रियाजणेन कारणनूतेन जा तिनिर्देशाद्ददुनिरपि नमस्कारैः क्रियमाणा जघन्या
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