________________ 38 श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र तू मेरी अपूर्व विद्या का चमत्कार देख ले / मैं इसी समय तुझे वह चमत्कार बताती हूं। इस चमत्कार के कारण तेरा पति राजा चंद्र निश्चित समय से पहले ही राजसभा में से उठ कर तेरे महल में आ जाएगा। फिर अपने मंत्रप्रयोग से मैं उसे सुला दूंगी। उसके खर्राटे भरना शुरु करते ही तू तुरन्त मेरे पास चली आ। बाकी सब मैं संभाल लूँगी, समझी ?" इस प्रकार गुणावली के साथ गुप्त रीति से परामर्श कर के वीरमती अपने महल में लौट आई / इधर गुणावली अपने महल में अकेली रहने पर अपने मन में सोचने लगी कि क्या सचमुच मेरी सास के पास ऐसी चमत्कारी विद्याएँ होंगी ? बातें तो वे बहुत लम्बी-चौड़ी करती हैं, लेकिन मुझे उनकी बातों में विश्वास नहीं होता है / खैर, यदि आज मेरे पति राजसभा में से सचमुच ही निश्चित समय से पहले लौट आए, तो फिर मैं सासजी की बातों का विश्वास कर लूंगी। जब अपने महल में अकेली बैठी हुई गुणावली मन में इस प्रकार से तर्कवितर्क कर रही थी, तब इधर वीरमती अपने महल में ध्यानस्थ अवस्था में बैठकर किसी विद्या की साधना कर रही थी। कुछ देरतक ध्यानस्थ अवस्था में बैठकर मंत्र का जप करने के बाद एक देव उसके सामने आकर खड़ा हुआ। उसने वीरमती से पूछा, “हे रानी, तुम किस लिए मेरी आराधना कर रही थी ?' वीरमती ने कहा, “हे देव! मैंने बिना किसी प्रयोजन के तुम्हें यहाँ आने का कष्ट नहीं दिया है। तुम्हें यहाँ बुलाने का प्रयोजन यह हैं कि मैं चाहती हूँ कि आज तुम ऐसा कोई उपाय करो कि जिससे मेरा पुत्र राजा चंद्र पहले निश्चित किए हुए समय से पहले ही राजसभा विसर्जित कर तुरन्त अपनी पत्नी गुणावली के महल में लौट आए।" वीरमती की बात सुन कर देव ने कहा, “क्या तुमने मुझे इसी काम के लिए ही यहाँ बुलाया है ? यह काम तो मेरे लिए बाएँ हाथ का खेल है ! मैं अभी तुम्हारा इच्छा के अनुसार ऐसा उपाय करता हूँ जिससे तुम्हारा पुत्र राजा चंद्रतुरन्त राजसभा विसर्जित कर गुणावली के महल में लौट आएगा।" वीरमती से यह बात कहते-कहते ही देव ने अपनी दिव्य शक्ति के प्रयोग से सारा आकाशमंडल काली-काली घनघोर घटाओं से भर दिया / आकाश में बादल जोर-शोर से गरजने लगे। बिजली की चकाचौंध से आकाश भर गया। आकाश में काले बादल छाए हुए देख कर और उनकी गर्जना सुन कर आनंदित हुए मोर नृत्य करने लगे। अचानक धुआंधार P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust