Book Title: Chandraraj Charitra
Author(s): Bhupendrasuri
Publisher: Saudharm Sandesh Prakashan Trust

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Page 231
________________ 226 श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र . शुभ मुहूर्त पर चंद्र राजा ने अपनी पत्नी प्रेमला, सामंत राजा तथा सेना के साथ विमलापुरी से आभापुरी की ओर प्रस्थान किया। उनके प्रस्थान के समय मंगलसूचक वाधों की ध्वनियों से आकाश गूंज उठा। अब चंद्रराजा अपने सारे परिवार के साथ नगरी के मध्य में से होकर गुजर रहा था। आगे विभिन्न प्रकार के वाध बज रहे थे। यह संघ जब चौराहे पर आया, तो वहाँ इकट्ठा हुए नागरिकों ने चंद्र राजा और प्रेमला पर मोतियों की वर्षा करके उनका स्वागत किया। विमलापुरी की युवतियाँ मंगलगीत गाकर वर-वधू को आशीर्वाद दे रही थीं, उनके लिए मंगलकामना कर रही थी। चलते-चलते यह सारा परिवार सिद्धाचलतीर्थ के निकट आ पहुँचा / चंद्रराजा और प्रेमला दोनों रथ में से तुरंत उतर आए और भावोल्लास के साथ उन्होंने इस महापवित्र महातीर्थ की वंदना कर उसकी स्तुति की / अब रथ में फिर से चढ़ने से पहले उनको यहाँ तक विदा देने के लिए आए हुए सास-ससुर और अन्य सगे-संबंधियों और मित्रसहेलियों को उन्होंने विमलापुरी की ओर लौटने की प्रार्थना की और उनके चले जाने पर वे दोनों रथ में बैठे और उनकी आभापुरी को यात्रा प्रारंभ हुई। जब मंजिल दूर होती है, तो द्रुत गति से प्रयाण करना आवश्यक ही होता है। चंद्रराजा प्रेमला तथा परिवार के साथ-साथ इस समय नटराज शिवकुमार की नाटक मंडली भी थी। इसलिए रास्ते में जहाँ जहाँ चंद्रराजा का सपरिवार मुकाम होता था, वहाँ-वहाँ शिवकुमार की मंडली नए-नए नाटक खेल कर चंद्रराजा तथा उनके परिवार का मनोरंजन करती थी। चंद्र राजा प्रतिदिन आगे की ओर परिवार के साथ बढ़ता जा रहा था। मार्ग में पडनेवाले अनेक देश और राज्य चंद्रराजा ने देखे, उनको अपने वश में कर लिया वहाँ की राजकन्याओं से विवाह किए। कुछ दिनों के बाद चंद्र राजा सपरिवार पोतनपुर आ पहुँचा। पोतनपुर नगरी के बाहर तंबू डाल कर उन्होंने अपना डेरा जमाया। वहाँ वे सब विश्राम करने लगे। यह वही पोतनपुर नगरी है, जहाँ नटराज शिवकुमार के साथ मुर्गे के रूप में चंद्र राजा पहले आया था। यहीं पर चंद्र राजा के रूप में होनेवाले मुर्गे की आवाज प्रात: काल के समय सुन कर, अच्छा मुहूर्त जानकर लीलाधर नामक श्रेष्ठिपुत्र ने धन कमाने के उद्देश्य से विदेश की ओर प्रयाण किया था / संयोग से विदेश गया हुआ यह श्रेष्ठिपुत्र लीलाधर आज ही विदेश से अपने घर लौट आया था। लीलाधर के सारे परिवार ने लीलाधर के क्षेमकुशलपूर्वक - विदेश यात्रा से लौट आने की खुशी में शहर में बड़ा महोत्सव मनाने के लिए आयोजन किया था। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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