Book Title: Chandraraj Charitra
Author(s): Bhupendrasuri
Publisher: Saudharm Sandesh Prakashan Trust

View full book text
Previous | Next

Page 261
________________ 256 श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र थीं। उन दोनों में धर्म के बारे में मतभेद होने पर भी उनके आपसी स्नेह में कोई कमी नहीं आई / दोनों के बीच प्रेमभाव जैसे-के-वैसे बना रहा। धर्म को छोड़कर अन्य सभी बातो में उनका मत एक-सा होता था। दोनों सखियों का समय एक दूसरे की संगति में सुख से बीत रहा था। इतने में वैराट देश के राजा जितशत्रु ने अपने पुत्र शूरसेन के साथ तिलकमंजरी का विवाह कराने का प्रस्ताव लेकर अपने मंत्री को मदनभ्रम राजा के दरबार में भेजा। मदनभ्रम राजा को जितशत्रु का प्रस्ताव पसंद आया। इसलिए उसने तुरन्त अपनी पुत्री तिलकमंजरी को बुला कर उसकी राय पूछी। तिलकमंजरी ने अपने पिता को बताया, "पिताजी, यदि मेरी सखी रुपवती इस वर को पसंद करे तो हम दोनों मिल कर इस एक ही वर से विवाह करेंगी। हम दोनों ने विवाह के बारे में बहुत पहले यह प्रतिज्ञा कर रखी है कि हम दोनों मिलकर एक ही वर से विवाह करेंगी और आजीवन साथ-साथ रहेंगी।" मदनभ्रम राजा ने अपनी पुत्री तिलकमंजरी की यह प्रतिज्ञा सुनकर अपने मंत्री को बुलाया और उसे सारी बात कह सुनाई। राजा ने फिर मंत्री से कहा, "मंत्रीजी, यदि तुम्हारी पुत्री इस वर के साथ विवाह करने को तैयार हो, ते हम दोनों सखियों का एक साथ विवाह करा देंगे / तुम अपनी पुत्री रूपवती से पूछ लो।" मंत्री ने अपने घर जाकर अपनी पुत्री रूपवती से पूछा / उसने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया और विवाह के लिए तैयारी दिखाई / मंत्री ने राजा मदनभ्रम के पास जाकर अपनी अनुमति बता दी। अब राजा मदनभम ने वैराट देश के जितशत्रु राजा से आए हुए मंत्री को अपने पास बुलाया और कहा, “देखो मंत्रीजी, हमें हमारी कन्या तिलकमंजरी का आपके देश के राजा के पुत्र शूरसेन से विवाह कराना स्वीकार है। लेकिन हमारी एक शर्त यह है कि राजकुमार शूरसेन को तिलकमंजरी के साथ उसकी सखी मंत्रीपुत्री रूपवती से भी विवाह करना पड़ेगा। इस पर तुम्हारा क्या विचार है वह बता दो।" वैराट देश के राजा जितशत्रु के मंत्री ने तुरंत इस बात को सहर्ष स्वीकार कर लिया। इस प्रकार शूरसेन के साध तिलकमंजरी और रूपवती का विवाह होना निश्चित हो गया। राजा मदनभ्रम ने उसी समय राजज्योतिषी को बुला कर विवाह का शुभ मुहूर्त भी जान लिया और निश्चित भी कर दिया। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

Loading...

Page Navigation
1 ... 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277