________________ 260 श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र उसकी देखमाल, लालन-पालन में व्यस्त हो ही जाता है। यदि मनुष्य को धर्म प्रिय हो, तो वह उसके पालन में लीन क्यों न बने ? लेकिन आजकल मनुष्य की लीनता किस बात में दिखाई देती है - प्राय: लक्ष्मी और ललना में ही ! किसी दासी के मुँह से तिलकमंजरी को यह मालूम हुआ कि रुपवती को भी उसके पिता मंत्री ने उसके पास है वैसी ही दूसरी सारिका भेज दी हैं। यह खबर सुन कर अब रुपवती को भी सुख मिलेगा, यह विचार तिलकमंजरी को सताने लगा। रुपवती का सुख उससे सहा न गया। वह सौतिया डाह से मन-ही-मन जलने लगी। ईर्ष्यालु मनुष्य दूसरे को सुखी देख कर ईर्ष्या से जल उठता है - मन में दु:खी होता है। ऐसे ही एक दिन वे दोनों सौतें एकसाथ बैठी हुई थीं और वे अपनी-अपनी सारिका की बहुत प्रशंसा करने लगी। लेकिन मन में सौतिया डाह होने से दोनों से भी दूसरी की सारिका की प्रशंसा सही नहीं जाती थी। इसलिए दोनों ने यह निश्चित किया कि हम दोनों की सारिकाओं में से जिसकी सारिका अधिक मधुर बोलेगी उसे हम श्रेष्ठ स्वीकार कर लेंगी। शर्त के अनुसार, तिलकमंजरी की सारिका मधुर बोलने में बहुत कुशल होने से अनेक बार अत्यंत मधुर बोली में बोली। उसने सब का मन मोहित कर लिया। लेकिन रूपवती जिसे सारिका मानती थी और सब जिसे सारिका ही समझ रहे थे वह तो एक बार भी नहीं बोली। और वह बोलेगी भी तो कैसे ? क्योंकि, वह तो वास्तव में सारिका नहीं थी। नकली चीज असली चीज की हर बात में नकल नहीं कर सकती / ऐसा होने से बेचारी रुपवती सबके सामने लज्जित होकर चुप हो गई। उधर तिलकमंजरी आनंद के उन्माद में नाचने लगी। रुपवती को अपने पक्षी की यह अवस्था देख कर मन में बहुत खेद हुआ। रूपवती ने सोचा कि यह पक्षी तो सिर्फ दिखाई देने में ही रूपवान् हैं, सुंदर है / लेकिन उसमें गुण तो नाममात्र के लिए भो नहीं है। नकली चीज़ में असली चीज के गुण आखिर हो भी कैसे सकते हैं? शर्त के अनुसार तिलकमंजरी की सारिका जीत गई थी और रुपवती का कोसी पक्षी बुरी तरह से हारा था / इसलिए अब तिलकमंजरी बारबार रुपवती को चिढ़ाने लगी। वह कहती थी, “क्यों रुपवती ? तू अपनी सारिका की बहुत प्रशंसा करती थी न ? तो फिर क्यों हार गई ? अरी कहाँ मेरी मधुर भाषी सारिका और कहाँ तेरा गूंगा कोसी ? तेरे पास जो कोसी है, उसके जैसे सहस्त्रों कोसी हो, तो भी वे मेरी एक सारिका की तुलना में नहीं टिक सकेंगे।" P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust