Book Title: Chandraraj Charitra
Author(s): Bhupendrasuri
Publisher: Saudharm Sandesh Prakashan Trust

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Page 253
________________ 248 श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र बिलकुल उचित नहीं है। ऐसी अपवित्र स्त्रियों को वास्तव में तुझे अपने घर में प्रवेश ही नहीं करने देना चाहिए। अगर वे घर में प्रवेश करें, तो उन्हें अपमानित करके घर से बाहर निकाल देना चाहिए। ये साध्वियाँ तो बगुलाभगत होती हैं। बाहर से तो वे त्यागी-बैरागी का वेश पहने हुए होती हैं-घूमती रहती हैं, लेकिन उनके हृदय बहुत कुटिल होते हैं। मीठा-मीठा बोल कर वे लोगों को ठगती रहती हैं। यहाँ की बात वहाँ और वहाँ की बात यहाँ कर के वे नारदमुनि की तरह लोगों को आपस में लड़ा मारती हैं। यही उनका मुख्य धर्म कार्य होता हैं। हमारे नगर में इन साध्वियों द्वारा ठगी गई अनेक स्त्रियाँ हैं। 'सौ चूहे खा के बिल्ली का हज को जाना' जैसे व्यर्थ और धोखा देनेवाला होता है, वैसे ही ये स्त्रियाँ लोगों को ठग-ठग कर अब अपने घर छोड कर तप करने के लिए निकल पड़ी होती हैं / उनको अपने घर में खाने के लिए नहीं मिलता है, इसीलिए वे सिर मूंड कर साध्वियाँ बन जाती है। मीठा मीठा भोजन लोगों से पाने के उद्देश्य से लोगों के आगे धर्म की मीठी-मीठी बातें करके अपना पेट भरती हैं। तुझ जैसी पढ़ी लिखी और सुशिक्षित-सुसंस्कृत मंत्रीपुत्री को : ऐसी पाखंडी साध्वियों की संगति में बिलकुल नहीं रहना चाहिए। . हे सखी, कहाँ हमारे ऊँचे कुल और कहाँ इन के नीच कुल ? ऐसी ये दस-बीस साध्वियाँ इकठ्ठा हो जाएँ तो हमारा सारा नगर बिगाड़ डालेंगी। हरएक घर में झोली में पात्र रख कर भटकती है। अच्छी-अच्छी चीजें खा-पीकर पेट पर हाथ फेरती हुई पड़ी रहती हैं। यही तो वास्तव में इन साध्वीयों का नित्यनियम होता है। हे प्रिय सखी, तू ऐसी घूर्त और पाखंडी साध्वियों का रोज उपदेश सुनती रहती है, वह अच्छा नहीं है। मैं तो ऐसी धूर्त और पाखंडी साध्वियों की छाया में रहना भी पसंद नहीं करती राजकुमारी के मन में साध्वियों के प्रति जितना भी द्वेषभाव था, वह सारा उसने मंत्रीपुत्रीके सामने साध्वियों की निंदा करते हुए उगल दिया। निंदा द्वेष की संतान है। राजपुत्री के मन में जैन धर्म के प्रति बहुत द्वेष भाव था। इसी कारण उसके मन में जैन साध्वियों के प्रति भी द्वेष और अरूचि का भाव था। मिथ्यात्वी मनुष्य को अच्छा और सच्चा कभी पसंद नहीं आता है। ऊँट को मीठे अंगूर पसंद नहीं आते हैं, इसमें अंगूर का क्या दोष है ? : राजपुत्री की जैन साध्वियों की निंदा करनेवाली ये सारी द्वेषपूर्ण बातें सुन कर मंत्रीपुत्री रूपवती ने कहा, “हे प्रिय सखी, यह सब तू क्या बोलती है ? महासती जैन साध्वियों की इस P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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