________________ 224 . .: श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र प्रेमला अपने पति के साथ जाना चाहती हैं, यह जानकर प्रेमला की माँ बहुत दुःखी हुई / उसने अपनी पुत्री प्रेमला से कहा, "प्रेमला, तू हमें छोड़ कर अपने पति के धर जाना चाहती है; यह जान कर मुझे बहुत दुःख हुआ है। 'कन्या पराया धन होती है' इस कहावत को तूने सार्थक सिद्ध कर दिया है। कुलीन स्त्री को अंत में पति के घर की ही शरण होती है। वह वहीं सच्चा सुख मानती है, इसलिए हम तुझे ससुराल जाने से नहीं रोकना चाहते हैं। तू खुशी से अपने पति के साथ अपनी ससुराल जा और सुख प्राप्त कर ! हमारा तुझे हार्दिक आशीर्वाद है और बराबर रहेगा।" अब राजा मकरध्वज ने अपनी पुत्री को पहली बार उसको ससुराल भेजने के लिए अनेक प्रकार की वस्तुएँ इकट्ठा करना प्रारंभ किया। राजा-रानी ने अपनी पुत्री को दासों-दासियों का बड़ा परिवार, उत्तम वस्त्र, अलंकार, शय्या, वाहन आदि में से कोई चीज भरपूर मात्रा में देने में कोई कसर नहीं रखी। जहाँ सच्चे अर्थ में प्रेम का भाव होता है, वहाँ मनुष्य कोई चीज देने में .कसर नहीं रखता हैं। . इधर राजा चंद्र ने आभापुरी जाने के लिए तैयारी पूरी कर ली। प्रेमला के माता-पिता ने उसे अत्यंत सुंदर सजाए हुए रथ में बिठाया और फिर अपने दामाद राजा चंद्र से वे कहने लगे, “हे राजन्, यह हमारी प्रिय पुत्री अब तक हमारी थी। हमने अब तक अच्छी तरह से लाडप्यार से इसका लालन-पालन किया था। लेकिन आज हमारा यह सर्वोत्कृष्ट कन्यारूपी धन हम आपके करकमलों में सहर्ष सौंप रहे हैं / आप हमारी इस प्राणप्रिय पुत्री को ठीक ढंग से सँभालिए। उसका सम्मान बढ़ाना अब आपके हाथ में है। हमारी बेटी प्रेमला ने अभी तक कभी अपने महल के बाहर पाँव नहीं रखा है। बहुत लाड़-प्यार में पली है हमारी यह कन्या ! इसलिए उससे अगर कोई भूल हुई तो आप उसे उदारता से क्षमा कर दें। हे कुमार, यद्यपि हम तो उसे ससुराल भेजने की इच्छा नहीं रखते हैं, लेकिन विवाहित कन्या अपने पिता के घर में आखिर कब तक रह सकती है ? यही बात जान कर हम उसे आपके साथ भेज रहे हैं। हे कुमार, यह हमारी इकलौती कन्या है, हमारा सर्वस्व है / यह सर्वस्व आज हम आपको सौंप रहे हैं। इसलिए उसका बराबर ध्यान रखिए। दूसरी बात यह भी जानिए कि हमारे पास जो राज्यवैभव है वह अंत में आपका ही है।" ___फिर राजा मकरध्वज को रानी अपनी कन्या को उपदेश देते हुए बोली, “हे बेटी, तू अपने ससुराल में-पति के घर-जाकर हमारा और अपने कुल का नाम उज्जवल कर दे। अपनी सौत को बड़ी बहन समझ कर उसके साथ सम्मान का व्यवहार कर / ससुराल में तेरे सास P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust