________________ श्री चन्द्रराजर्षि च=ि किसी एक ही पक्ष की इच्छा से नहीं / जब आप आज नहीं तो कल, कहीं-न-कहीं कनकध्= कुमार का विवाह कराने ही वाले हैं तो फिर 'सोने में सुगंध' जैसा लगनेवाला यह संबध जो= __ में और सगाई कराने में आप इतना विलंब क्यों कर रहे है ? अपने घर के आँगन में स्वयंवरा आई हुई लक्ष्मी को अस्वीकार कर वापस लौटाना ह– उचित नहीं लगता है। यदि आप हमें निराश करके लौटा देंगे, तो आपकी यह भूल होगी औ= इस भूल के लिए बाद में आपको पछताना पड़ेगा। हम तो आपसे हाथ जोड़ कर प्रार्थना कर हैं कि आप हाथ में आया हुआ यह अवसर व्यर्थ मत जाने दीजिए।" "हे आभानरेश, मैं उस समय अपने राजा के साथ बैठ कर परामर्श कर रहा था। मैं अपने राजा से पूछा, “महाराज, विमलापुरी से आए हुए मंत्रियों को आप कब तक यहाँ रोक रखेंगे ? शीघ्र ही उनके विवाहप्रस्ताव को स्वीकार कर विवाह संबंध निश्चित कर डालिए / इस विवाहसंबंध से सिंहलपुरी और विमलापुरी के बीच संबंध धनिष्ठ बन जाएँगे।" इस तरह मैंने अपने महाराज से कहा और राजा के प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा किए बिना है मैंने राजा की ओर से मकरध्वज राजा की कन्या प्रेमलालच्छी का अपने देश के राजा के राजकुमार कनकध्वज के साथ विवाहप्रस्ताव स्वीकार कर लिया। श्रीफल लिया गया। आचार के अनुसार वहाँ उपस्थित लोगों को पान-सुपारी दी गई। अपने इच्छित कार्य में सफलता पाने से विमलापुरी से आए हुए चारों मंत्रियों के मनरूपं महोधि में आनंद की लहरें लहराने लगीं / मैं ने स्वीकार किया हुआ यह विवाहसंबंध हमारे महाराज के सिवाय सबको बहुत पसंद आया। राजा मकरध्वज के मंत्री यह विवाहसंबंध निश्चित होने से बहुत खुश हुए। उन्होंने मुझे बार-बार धन्यवाद देकर मेरे प्रतिकृतज्ञता व्यक्त की। फिर अतिथि बन कर आए हुए मकरध्वज के मंत्रियों ने मुझे उनका एक और काम करने के लिए प्रार्थना की और कहा कि इससे हमें पूरा संतोष मिलेगा। विमलापुरी से आए हुए इन चार मंत्रियों से मैंने कहा, “बताओ, क्या काम है ?" मंत्रियों ने कहा, “कृपा कर हमें एक बार राजकुमार कनकध्वजं के दर्शन कराइए / " इसपर मैंने झूठमूठ की बात कही, “देखो, राजकुमार इस समय तो अपने ननिहाल में अपने मामा के पास चला गया है। राजकुमार का ननिहाल यहाँ से 50 योजन दूर है, इसलिए उसे तुरन्त यहाँ बुला लेना संभव नहीं है। दूसरी बात यह हैं कि उसकी ननिहाल में भी उसके मामा उसे एक गुप्त गृह P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust