________________ 110 श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र देखने में नहीं आई। हमारी दृष्टि में ये दो नगरियाँ-मृत्युलोक की इंद्रपुरियाँ हैं।" इस तरह से विमलापुरी की जी खोल कर प्रशंसा करते हुए नटमंडली ने राजा से अपनी नाट्यकला प्रस्तुत करने के लिए अनुमति माँगी। राजा की अनुमति मिलते ही उन्होंने अपनी नाट्यकला दिखाना प्रारंभ किया। नटराज शिवकुमार ने सबसे पहले पवित्र स्थान देख कर उसका प्रमार्जन किया। फिर उस स्थान पर उसने विविध सुगंधित फूलों की एक शय्यासी बनाई। इस शय्या पर फिर उसने अपने पास होनेवाले मुर्गे के पिंजड़े को रखा। फिर उसने एक ऊँचा बाँस जमीन खोद कर खड़ा / किया और उसे चारों ओर से मजबूत रस्सी से बाँध दिया। इस प्रकार अब सारी पूर्वतैयारी हो गई। अब शिवमाला दिव्य वस्त्रालंकारों से सजकर पुरुष वेश में उस ऊँचे बाँस के पास आकर खड़ी हो गई। इस समय वह ऐसी सुंदर लग रही थी मानो स्वर्गलोक में से कोई अप्सरा ही मृत्युलोक पर आ उतरी हो। शिवमाला के अद्भूत रूपलावण्य को देख कर राजदरबार में उपस्थित सारे सदस्य और दर्शक दंग रह गए। राजा मकरध्वज ने इस नटमंडली के अद्भुत और आश्चर्यकारक खेल देखने के लिए अपनी पुत्री प्रेमलालच्छी को भी दरबार में बुला लिया। प्रेमलालच्छी ने पहले ही यह सुन रखा था कि आभापुरी से कितने ही नटों की मंडला | विमलापुरी में आई है। यह मंडली देश-विदेश में घूम-घूम कर अपनी नाट्यकला प्रस्तुत करता सार अपने पिता के बुलाने पर प्रेमलालच्छी अपनी सखियों के साथ राजा के पास दरबार में | आई। नटमंडली द्वारा खेले जानेवाले खेल देखने के लिए वह अत्यंत उत्सुकता से बैठी / सब / दर्शक बड़ी उत्कंठा से नटमंडली का खेल देखने को तत्पर हो गए थे। / नटराज से संकेत मिलते ही पक्षिराज मुर्गे से आज्ञा लेकर शिवमाला ने अपनी आर्यचकित / कर देनेवाली कला दिखाना प्रारंभ किया। वह रस्सी पकड़ कर ऊँचे बाँस पर चढ़ गई आर : नृत्यु-नाटक-गायन की कला दिखाने लगी। शिवमाला का अद्भुत कलाकौशल देख कर राजा P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust