Book Title: Chandraraj Charitra
Author(s): Bhupendrasuri
Publisher: Saudharm Sandesh Prakashan Trust

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Page 200
________________ श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र 195 चंद्र राजाने भी अपने लिए अत्यंत उपकारी और अपने प्राणधातो संकट मैं साथ नेवाले पिता पुत्री शिवकुमार और शिवमाला के मस्तक पर प्रेम से अपना हाथ रख कर उनके ति कृतज्ञता प्रकट की। चंद्र राजा ने उनसे कहा, तुम लोगों ने मुझ पर जो उपकार किया है सका बदला तो में आभापुरी की राजगद्दी पर फिर से बैठने पर ही चुका सकुँगा / तुम्हारे बकारो को मैं अपने पूरे जीवन भर नहीं भूल सकता हूँ न भूलूँगा। वहाँ उपस्थित हुई विमलापुरी की जनता ने बारबार हर्षनाद से चंद्र राजा का भव्य वागत किया। बैंडबाजे बजते जा रहे थे। राजा मकरध्वज और विमलापुरी की जनता के बीच जा चंद्र, था। वह इस समय ऐसे शोभित हो रहा था जैसे तारिकाओं के बीज चंद्रमा शोभित ता है, देवों के बीच इंद्र शोभित होता है। राजा चंद्र की शोभायात्रा प्रभु आदेश्वरदादा के गुण ती हुई गिरिराज के ऊपर से नीचे की ओर उतर रही थी। यह सुंदरद्दश्य देखकर ऐसा लगता मानो इंद्र देव-देवियों के साथ स्वर्ग में से नीचे धरती पर उतर रहा हो ? गिरिराज पर से नीचे उतर आने के बाद राजा मकरध्वज ने चंद्रराजा के नगर प्रवेश की र नगर में स्वागत की तैयारी जोरशोर से और तुरंत शुरु कर दी ? दूसरी ओर राजा ने द्धगिरि से विमलापुरी तक बड़ा संघ निकालने का निश्चय किया। इस संध के लिए राजा ने ने मानहत होनेवाले अड़ोस-पड़ोस के गाँवों-नगरों में निमंत्रण भेज दिया। राजा का निमंत्रण तते ही संघयात्रा में सम्मिलत होने के लिए लाखों की संख्या में लोग आ पहुँचे। अब राजा मकरध्वज ने अपने दामाद चंद्र राजा को एक सजाए हुए गजराज पर आया और बाकी सब लोग इस गजराज के आगे-पीछे चलने लगे। राज्य के बैंडवादकों ने ने सुरीले वाद्यो पर गीत गाना शुरू किया। उसकी मधुर ध्वनि से आकाश गूंज उठा। सारा : चंद्रराजा की जयजयकार करता हुआ विमलापुरी की ओर बढ़ने लगा / चंद्रराजा के सपास बैठे हुए अंगरक्षक उत्तम श्वेत चामर ढाल रहे थे। एक पुरुष ने राजा चंद्र के मस्तक छत्र धर रखा था। राजा मकरध्वज भी एक दूसरे हाथी पर बैठा हुआ था / राजपरिवार की स्त्रियाँ उत्तम से सजाए हुए सुवर्णरथों में बैठी थीं / अन्य सामन्त राजा, मंत्री आदि सजाए हुए अश्वरत्नों सवार थे। जनसामान्य अपने-अपने योग्य वाहनों में बैठे हुए थे। ___इस प्रकार से सजधज के साथ सारा संघ विमलापुरी की ओर बढ़ रहा था। चंद्र राज भागे विभिन्न प्रकार के वाद्य बज रहे थे। बंदीजन चंद्रराजा की विरुदावली का जोरशोर से P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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