________________ श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र - राजा के मुँह से स्वप्न की बात सुन कर रानी गुनावली चौंक उठी और उसने राजा से कहा, “हेप्राणनाथ, वह तो बस, आपके मन का भ्रम है। स्वप्न में देखी हुई बातें सिर्फ मनुष्य के मन का भ्रम होती हैं। स्वप्न की बातों को सत्य नहीं माना जा सकता। हे नाथ, मेरी एक बात सुनिए। एक गाँव में शिवजी का एक पुजारी रहता था। उसने स्वप्न में देखा कि शिवजी का मदिर मिठाइयों से खचाखच भरा हुआ है। सुबह जाग कर शिवजी का यह पुजारी गाँव में गया और उसने ग्रामवासियों से कहा, “देखो भाइयो और बहनो, आज सब ग्रामवासी शिवमंदिर में भोजन के लिए आ जाओ।" पुजारी से न्योता पाकर दोपहर को सचमुच सभी ग्रामवासी शिवमंदिर में भोजनकरने के लिए आ पहुँचे। ग्रामवासियों को शिवमंदिर में कहीं भी मिठाइयाँ -दिखाई नहीं दी ! इसलिए कुछ ग्रामवासी पुजारी के पास आकर बोले, 'पुजारीजी, क्या बात है ? आपने तो सभी ग्रामवासियों को मिष्टान्न-भोजन का निमंत्रण देकर यहाँ बुलाया। लेकिन यहाँ तो मिठाई का एक टकड़ा भी दिखाई नहीं देता। यह क्या चक्कर है ? क्या तुमने हम सबका मजाक उडाया है ?'' इसपर पुजारी ने ग्रामवासियों को बताया, 'भाइयो, मैं क्या करूं ? सारी मिठाइयाँ तो शिवजी खा गए। अब फिर से जब स्वप्न में मैं मिठाइयाँ देखूगा, तो आप सबको अवश्य मिठाइयों का स्वाद चखाऊँगा।' शिवजी के पुजारी की मूर्खताभरी बात सुन कर ग्रामवासियों ने कहा, 'बेवकूफ, क्या तूने हम सबको स्वप्न में देखी हुई मिठाइयाँ खाने के लिए निमंत्रण दिया था ? तू कैसा मूर्ख मनुष्य है ? क्या स्वप्न की मिठाइयों से भी कभी किसी का पेट भरता है ? क्या उससे पेट की बूख मिट सकती है ? क्या उससे भी कोई स्वाद मिल सकता है ? निरा मूर्ख मनुष्य है तू!' इतनी कड़ी बातें सुना कर ग्रामवासी जैसे आए, वैसे हो गाँव की ओर लौट गए। शिवजी का पुजारी भी बाद में अपने किए पर बहुत पछताने लगा। हे स्वामिनाथ, आपके स्वप्न की बात भी बिल्कुल शिवजी के उस पुजारी की बातों के समान है। इसलिए आप स्वप्न में देखी हुई यह बात अपने मन से निकाल दीजिए कि मैं अपनी सास के साथ यहाँ से 1,800 योजन की दूरी पर रात को विमलापुरी गई और सुबह से पहले हो लौट आई! हे प्रियतम, मैं तो आपकी आज्ञा के बिना महल से बाहर कदम रखने में भी असमर्थ हूँ फिर रात के समय आपकी आज्ञा के बिना इतनी दूर जाकर लौट आना कैसे संभव है ? P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust