________________ 68 श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र अब मैंने अपने राजा सिंहलनरेश को मंत्रियों को दी गई रिश्वत की बात बताई / राजा ने इस पर कहा, "ठीक ! तुम्हें जो उचित लगे वह करो। मैंने तो यह काम पहले से ही तुमको सौंप दिया हैं।" __ एक-एक करोड़ सुवर्ण मुहरों के मालिक बने हुए चारों मंत्रियों ने राजा से कहा, "हे सिंहलनरेश, आप कनकध्वज प्रेमलालच्छी के विवाह का शुभ मुहूर्त भी निश्चित कर लीजिए। " राजा ने तुरन्त राजज्योतिष को बुला कर राजकुमार-राज-कुमारी के विवाह का मुहूर्त भी निश्चित करा लिया / ज्योतिषी ने राजा को बताया, “महाराज, आनेवाले छ: महीनों में अमुक दिन अमुक समय इन दोनों के लिए शुभ मुहूर्त हैं।" विवाह का मुहूर्त निश्चित हुआ। विमलापुरी से आए चारों मंत्रियों को सिंहलनरेश और उनके मंत्रियों ने भावभीनी विदा दी। खुश होकर मंत्री सिंहलनगरी से रवाना हुए और कुछ ही समय के बाद विमलापुरी लौट आए / मंत्रियों ने विमलापुरी के राजा के पास जाकर राजा को सारा वृत्तान्त कह सुनाया। राजा ने मंत्रियों से कनकध्वज राजकुमार ने रुपसौंदर्य के बारे में पूछा। मंत्रियों ने मनगढन्त झूठा उत्तर दिया कि आपने राजकुमार के रुप(दर्य के संबंध में जैसा | सुना था, वैसा ही राजकुमार का रुप हमने देखा / हम प्रेमला राजकुमारी की सगाई भी राजकुमार - के साथ करके आए है। मंत्रियों के कार्य से राजा बहुत खुश हुआ। उसने राजसभा में मंत्रियों को बुलाया और सबके सामने प्रत्येक मंत्री को एक-एक लाख सुवर्ण-मुहरें पुरस्कार के रूप में देकर उन सबका सम्मान किया।" . अब सिंहलनरेश के महामंत्री हिंसक ने चंद्रनरेश को आगे बताया, "फिर मैंने कनकध्वज राजकुमार के विवाह की तेजी से तैयारी प्रारंभ की। नगरजन मुझ से पूछताछ करने लगे, "किसका विवाह होनेवाला है ? कब होगा ?" इस पर मैंने नगरजनों को बताया / “हमारे महाराज के पुत्ररत्न कनकध्वज राजकुमार का विवाह निश्चित हुआ है। वधू के रूप में विमलापुरी के राजा कनकध्वज की कन्या प्रेमलालच्छी को चुना गया हैं / यह विवाह समारोह अब से लगभग पाँच-छ महीनों में होगा। विमलापुरी के राजा के मंत्री यहाँ आए थे। वे विवाहसंबंध निश्चित कर गए हैं। अब विवाह समारोह की तैयारी करनी है। -- P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust